UP: मिलिए मेरठ के रामभक्त मौलाना ‘चतुर्वेदी’ से, कंठस्थ हैं चारों वेद

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UP: मिलिए मेरठ के रामभक्त मौलाना 'चतुर्वेदी' से, कंठस्थ हैं चारों वेद

मिलिए मेरठ के रामभक्त मौलाना ‘चतुर्वेदी’ से, कंठस्थ हैं वेद

मौलाना (Maulana) अपने मदरसे में छात्रों को सहिष्णुता का पाठ पढ़ाते हैं. वो मानते हैं कि इसके लिए दूसरे धर्मों के बारे में भी जानना ज़रूरी है.

मेरठ. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ (Meerut) शहर में ‘मौलाना चतुर्वेदी’ की अगल पहचान हैं. वैसे तो इनका असली नाम मौलाना महफ़ूज़ उर रहमान शाहीन जमाली हैं, लेकिन समाज की नजर में लोग ‘मौलाना चतुर्वेदी’ के नाम से जानते हैं. मौलाना चतुर्वेदी का कहना है कि सबसे बड़ा धर्म मोहब्बत और इंसानियत है. आखिर एक मौलाना के नाम के आगे चतुर्वेदी क्यों लग गया, इसका राज जानकर आपको बेहद अच्छा लगेगा. उन्होंने हिंदुओं की धार्मिक पुस्तकों या वेदों का भी गहरा अध्ययन किया है. वो कहते हैं, “लोग यह सोचते हैं कि अगर ये मौलाना हैं तो फिर चतुर्वेदी कैसे हैं? मैं उनसे कहता हूं कि मौलाना अगर चतुर्वेदी भी हो जाए, तो उसकी शान घटती नहीं और बढ़ जाती है”.

हिंदू धर्म में चारों वेदों का अध्ययन करने वालों को चतुर्वेदी कहा जाता है. देवबंद से पढ़ाई पूरी करने के बाद मौलाना शाहीन जमाली को संस्कृत सीखने इच्छा हुई. उसके बाद वेदों और हिन्दुओं के बाक़ी धार्मिक पुस्तकों में उनकी रूचि बढ़ती चली गई. वो कहते हैं, “वेद पढ़ने के बाद मैंने महसूस किया कि मेरा जीवन एक खाने में सिमट कर नहीं रह गया है, बल्कि मेरा दायरा और भी बड़ा हो गया है.”

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मौलाना अपने मदरसे में छात्रों को सहिष्णुता का पाठ पढ़ाते हैं. वो मानते हैं कि इसके लिए दूसरे धर्मों के बारे में भी जानना ज़रूरी है. मौलाना चतुर्वेदी कहते हैं, “हमारा संदेश यह है कि लोगों में दूरी, ज़्यादा ताक़त की इच्छा से बढ़ती है. लेकिन मानवता के रिश्ते में कोई भेदभाव नहीं है, इसलिए वेदों में मानवता के बारे में कई गई बातों का हवाला देकर, मैं लोगों को एक दूसरे के करीब लाने की कोशिश करता हूं”.उनके मुताबिक़, “वेदों में तीन मूल बातें कही गई हैं, भगवान की पूजा, इंसान की मुक्ति और मानव सेवा. मैं समझता हूँ कि ये तीनों बातें इस्लाम के संदेश में पहले से ही मौजूद हैं”. इस असाधारण मदरसे के आसपास रहने वालों में मौलाना चतुर्वेदी खुद भी लोकप्रिय हैं और उनका संदेश भी.

मौलाना जमाली ने बताया कि इस शिक्षा का हमारे अपने बच्चों पर यह असर पड़ता है कि वो जिस समाज में जाएंगे, वहां उनका वास्ता अपने दूसरे धार्मिक भाइयों से होगा और जो कुछ उन्होंने यहां सीखा है, उसे अपने जीवन में अपनाएंगे. इस तरह के मेल मिलाप से आपस की एकता मज़बूत होगी.



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