असदुद्दीन ओवैसी ने जताई नाराजगी
हाइलाइट्स
- अयोध्या में भगवान राम मंदिर के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन किया
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन के बाद किया संबोधित, बोले- पूरा देश आज भावुक है
- एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, आज हिंदुत्व की जीत का दिन लेकिन सेकुलरिज्म की हार
- असदुद्दीन ओवैसी ने भूमि पूजन से पहले एक ट्वीट भी किया था, इसमें उन्होंने हैशटैग बाबरी जिंदा है चलाया
अयोध्या
भगवान रामलला की नगरी अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के साथ ही पूरे देश में राम नाम की गूंज सुनाई दे रही है। उधर, राम मंदिर के भूमि पूजन को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने नाराजगी जाहिर की है। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भारत एक सेक्युलर देश है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने राम मंदिर का भूमि पूजन (Ram Mandir Bhoomi Poojan) कर अपने पद की गरिमा का उल्लंघन किया है।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘यह दिन हिंदुत्व की जीत और लोकतंत्र के साथ-साथ सेक्युलरिज्म की हार का भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi in Ayodhya) ने बुधवार को कहा कि वह आज भावुक थे।’ यही नहीं, ओवैसी (Asaduddin owaisi Latest News) ने कहा, ‘मैं भी उतना ही भावुक था क्योंकि मैं नागरिकों की सहभागिता और समानता में यकीन रखता हूं। मिस्टर प्राइम मिनिस्टर, मैं इस वजह से भावुक हूं क्योंकि वहां 450 वर्षों तक मस्जिद खड़ी थी।’
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1990 की वह रथयात्रा, आडवाणी की गिरफ्तारी
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असल में पूरा विवाद 1528 से शुरू हुआ था। मुगल बादशाह बाबर ने विवादित जगह पर मस्जिद का निर्माण कार्य कराया। हालांकि, हिंदुओं का दावा था कि यहां पर भगवान राम का जन्म हुआ। बढ़ते विवाद के साथ यहां पर 1949 में भगवान राम की मूर्तियां पाई गईं। इसके बाद विवाद बढ़ता गया और कार्रवाई भी की जाती रही। मंदिर निर्माण आंदोलन के लिए बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने 1990 में गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक के लिए रथ यात्रा शुरू की थी। हालांकि, आडवाणी को बिहार के तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव ने समस्तीपुर जिले में गिरफ्तार करवा लिया था। जब पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर अपना फैसला सुनाया था तब आडवाणी ने इसपर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह बड़ी बात है कि ईश्वर ने उन्हें इस आंदोलन से जुड़ने का मौका दिया।
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लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंहल, बालासाहेब ठाकरे समेत कई कद्दावर नेता राम मंदिर निर्माण के आंदोलन को लगातार धार देते रहे।
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राम मंदिर आंदोलन में पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। विवादित ढांचे के विध्वंस की जांच के लिए बने आयोग ने उमा भारती की भूमिका को भी दोषपूर्ण पाया था। दरअसल, अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों की भीड़ ने विवादित ढांचे को गिरा दिया था। उनकी आस्था थी कि किसी प्राचीन मंदिर को ढहाकर वह मस्जिद बनाई गई थी। लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी समेत तमाम बीजेपी नेता उस वक्त राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता थे।
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वर्ष 2010, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया। फिर वर्ष 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।
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वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया। बीजेपी के शीर्ष नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप फिर से बहाल किए। यही नहीं, 8 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया। पैनल को 8 सप्ताह के भीतर कार्यवाही खत्म करने को कहा। 1 अगस्त 2019 को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट पेश। इस पर 2 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान करने में विफल रहा। इस बीच रामलला अयोध्या में टेंट के भीतर थे। मामला राजनीतिक रंग ले चुका था। विपक्षियों के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नरेंद्र मोदी सरकार पर लगातार तंज जारी थे कि मंदिर वहीं बनाएंगे, पर तारीख नहीं बताएंगे।
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70 साल तक चली लंबी कानूनी लड़ाई, 40 दिन तक लगातार मैराथन सुनवाई के बाद 9 नवंबर 2019 को अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला आ गया। राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मति यानी 5-0 से ऐतिहासिक फैसला सुनाया। निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड को ही पक्षकार माना। टॉप कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विवादित जमीन को तीन पक्षों में बांटने के फैसले को अतार्किक करार दिया। आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया।
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वीएचपी ने 8 अक्टूबर 1984 को अयोध्या से राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत की थी। इसके बाद 1989 में प्रस्तावित मॉडल भी वीएचपी ने संतों से स्वीकृत करा लिया था और इसी मॉडल के जरिए वीएचपी ने राम मंदिर को लेकर पूरे देश में जनजागरण अभियान भी चलाया था। पहली बार प्रस्तावित राम मंदिर का मॉडल 2001 के कुंभ में श्रद्धालुओं के लिए लाया गया था। उसके बाद से 2007, 2013 और 2019 के कुंभ के दौरान भी यह मॉडल प्रयागराज में रखा गया था।
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9 फरवरी 2020 को प्रकाशित खबर के मुताबिक, राम जन्मभूमि न्यास कार्यशाला में तराशे गए पत्थरों की सफाई का कार्य शुरू हो गया। वाराणसी से आए कारीगर रामू ने बताया कि 1 फरवरी से पत्थरों पर लगी कालिख और काई की सफाई का काम चालू हुआ। उस दौरान, इस काम के लिए तीन कारीगरों को रखा गया था।
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फैसले के साथ ही कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बनाकर स्कीम बताए। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 फरवरी 2020, बुधवार को लोकसभा में राम मंदिर का पूरा प्लान बताया। उन्होंने घोषणा की कि राम मंदिर के लिए बनने वाले ट्रस्ट का नाम ‘श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ होगा। इस ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य होंगे।
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ट्रस्ट के गठन के बाद अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास को बनाया गया। इस ट्रस्ट में चंपत राय, नृपेंद्र मिश्र, के. पाराशरण, विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, डॉ. अनिल कुमार मिश्र, महंत दिनेंद्र दास, कामेश्वर चौपाल, अवनीश कुमार अवस्थी, अनुज कुमार झा को शामिल किया गया। ट्रस्ट के गठन के साथ ही अयोध्या को चमकाने का दौर शुरू हो गया।
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रामलला के अस्थायी मंदिर तैयार किया गया। विशेष पूजा के बीच रामलला को 25 मार्च 2020 को यहां शिफ्ट किया गया। यह कार्य खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया।
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ट्रस्ट के सदस्यों की बैठक के साथ ही भूमि पूजन की दो तारीखें (3 अगस्त और 5 अगस्त) तय करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी गईं। इसके साथ ही पीएमओ ने 5 अगस्त की तारीख पर मुहर लगा दी। 5 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन के लिए अयोध्या को सजा दिया गया है। भगवान रामलला की खास पोशाक तैयार की गई है। विवाद इस पोशाक के रंग पर भी हुआ लेकिन ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने हरे रंग से जुड़े कई जवाबों के साथ सभी को शांत करा दिया। चंपत राय ने कहा कि हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है।
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भूमि पूजन का प्रसाद लाखों घरों तक पहुंचाने की तैयारी है। वहीं, राम मंदिर के निर्माण से पहले शहर की विभिन्न इमारतों को पीला रंग दे दिया गया है। इसके साथ ही धर्म ध्वजा को हजारों की संख्या में लगाया जा रहा है।
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अयोध्या का कोना-कोना भव्य तरीके से सजा दिया गया है। सुरक्षा के खास इंतजामों के साथ अयोध्या की किलेबंदी की गई है। सरयू के किनारे दीपोत्सव के बीच सियावर रामचंद्र की जय का जयघोष लोगों के उत्साह की गवाही दे रहा है।
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भूमि पूजन से पहले यह तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘प्रभु श्रीराम के भक्तों का आह्लाद, सनातन संस्कृति का हर्ष-उत्कर्ष और पांच शताब्दियों की प्रतीक्षा का सुफल, धर्मनगरी श्री अयोध्या जी में सहज प्रतिबिंबित हो रहा है। जय श्री राम।’
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योगी आदित्यनाथ ने 4 अगस्त 2020 को अपने सरकारी आवास 5-कालिदास मार्ग, लखनऊ में राम मंदिर के भूमि पूजन की पूर्व संध्या पर दीपोत्सव का भी आयोजन किया।
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राम मंदिर के भूमि पूजन को लेकर लोगों में उत्साह दिख रहा है। सोशल मीडिया पर अयोध्या की सजावट की तस्वीरों को लोग जमकर शेयर कर रहे हैं। उधर, अयोध्या के घर-घर को भी ध्वजा के साथ राम के रंग में सराबोर किया जा रहा है।
राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले ट्वीट
राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले असदुद्दीन ओवैसी ने दो तस्वीरों के साथ ट्विटर पर लिखा था, ‘बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी। इंशाअल्लाह। हैशटैग बाबरी जिंदा है।’ असदुद्दीन का यह हैशटैग (#BabriZindaHai) ट्विटर पर काफी ट्रेंड हुआ है।
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‘मस्जिद की हैसियत खत्म नहीं हो जाती’
उधर, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के जनरल सेक्रेटरी मौलाना वली रहमानी (Maulana Wali Rehmani) ने बयान जारी कर कहा, ‘बाबरी मस्जिद कल भी थी, आज भी है और कल भी रहेगी। मस्जिद में मूर्तियां रख देने से या फिर पूजा-पाठ शुरू कर देने या एक लंबे अर्से तक नमाज पर प्रतिबंध लगा देने से मस्जिद की हैसियत खत्म नहीं हो जाती।’ उन्होंने कहा, ‘हमारा हमेशा यह मानना रहा है कि बाबरी मस्जिद किसी भी मंदिर या किसी हिंदू इबादतगाह को तोड़कर नहीं बनाई गई। हालात चाहे जितने खराब हों हमें हौसला नहीं हारना चाहिए। खालिफ हालात में जीने का मिजाज बनाना चाहिए।’
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