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1. फिर आज हक के लिए, फिर आज हक के लिए जान फिदा करे कोई
वफा भी झूम उठे यूं, वफा करे कोई,
नमाज 1400 सालों से इंतजार में है,हुसैन की तरह मुझ को अदा करे कोई.
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2. आंखों को कोई ख्वाब,
आंखों को कोई ख्वाब तो दिखाई दे,
तसबरा में इमाम का जलवा दिखाई दे,
ऐ इब्न-ए-मुर्तज़ा तेरे सामने सूरज भी एक छोटा सा जर्रा दिखाई दे.
3. जन्नत की आरजू में कहां जा रहे हैं लोग,
जन्नत तो करबाला में खरीदी हुसैन ने,
दुनिया-ओ-आंखिरत में जो रहना हो चैन से
जीना अली से सीखो मरना हुसैन से.
4. कर्बला वालों का गम
करबला वालों का गम घर घर में मनाया जाएगा
मक्सद-ए-शबीर आलम को बताया जाएगा
याद कर के जो ना रोया करबला वालों की प्यास
कब्र से तिश्ना वो मेहशर में उठाया जाएगा,
5. सजदे से कर्बाला को बंदगी मिल गई
सबर से उम्मत को जिंदगी मिल गई,
एक चमन फतीमा का उजड़ा मगर
सारे इस्लाम को जिंदगी मिल गई.
6. तेरे दिल में कैसी गिरह पड़ी
तेरे दिल में कैसी गिरह पड़ी तुझे उससे इतना हसद है क्यों,
जो नबी की आंख का नूर है, जो अलि की रूह का चैन है,
कभी देख अपने खामीर में, कभी पूछ अपने जमीर से,
वो जो मिट गया वो यजीद था, जो ना मिट सका वो हुसैन था
7. यूं ही नहीं चर्चा हुसैन का,
कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का
सर दे के दो जहां की हुकूमत खरीद ली
महंगा पड़ा यजीद को सौदा हुसैन का.
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