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नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:

दुनिया के सबसे हल्के हेलिकॉप्टर्स लद्दाख में मौजूद
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बनाए दो लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स (LCH) को लद्दाख सेक्टर में भेजा गया है। यह शॉर्ट नोटिस पर एयरफोर्स को पूरा सपोर्ट दे सकते हैं। दुनिया के सबसे हल्के हेलिकॉप्टर में 70mm के रॉकेट्स लगे हैं और एक चिन-माउंटेड कैनन है। इनसे भारत को दिन हो या रात, किसी भी वक्त कैसे भी टारगेट को हिट करने की क्षमता मिलती है।
अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर्स देंगे ग्राउंड फोर्सेज को सपोर्ट
IAF ने लद्दाख में अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर्स को भी तैनात किया है। लेह एयरबेस पर इनकी तैनाती AGM-114 हेलफायर एयर-टू-सरफेस मिसाइल, AIM-92 स्टिंगर एयर-टू-एयर मिसाइल, 2.75 इंच रॉकेट्स और 30mm चैन गन के साथ की गई है। यह विमान पिछले साल ही भारत को मिले हैं।
चिनूक से भारी हथियार ले जाना आसान
पिछले साल मार्च में IAF का हिस्सा बने चिनूक भी लद्दाख में मौजूद हैं। यह विमान अपने साथ भारी मिलिट्री इक्विपमेंट्स को ऊंचाई वाले इलाकों में ले जा सकते हैं। मल्टी-रोल, वर्टिकल लिफ्ट प्लैटफॉर्म वाले यह विमान सैनिकों, आर्टिलरी, इक्विपमेंट और फ्यूल ट्रांसपोर्ट में इस्तेमाल होते हैं।
MiG-29K के एयर पैट्रोलिंग में आसानी
मैरिटाइम फाइटर जेट्स MiG-29K नार्दर्न सेक्टर के कई एयरबेसेज पर तैनात हैं। इससे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल की एयर पैट्रोलिंग में भारत को खासी मदद मिलती है। भारतीय नौसेना के पास करीब 40 MiG-29K हैं जिनमें से आधे INS विक्रमादित्य पर तैनात हैं।
C-17 Globemaster से बड़े-बड़े हथियार ले जाना आसान
दिखने में बेहद भारी लगने वाला C-17 Globemaster है भी बेहद असरदार। इसमें लार्ज कॉम्बैट इक्विपमेंट्स के साथ-साथ सैनिकों को भी ले जाया जा सकता है। चीन के साथ तनाव की शुरुआत पर इन्हीं विमानों से सैनिकों को फॉरवर्ड एरियाज में पहुंचाया गया था। यह ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बोइंग ने ने बनाए हैं।
डोकलाम में जौहर दिखा चुके हैं P-8I
IAF तो IAF, नेवी ने भी लद्दाख में अपने लड़ाकू विमानों की तैनाती में कोई कसर नहीं छोड़ी है। Poseidon 8I ऐंटी सबमरीन वारफेयर एयरक्राफ्टस को पूर्वी लद्दाख में सर्विलांस के लिए तैनात किया गया है। इन जेट्स में AN/ASQ-508A ऐडवांस्ड इंटीग्रेटेड मैग्नेटिक एनॉमली डिटेक्शन सिस्टम और APS-143C(V)3 मल्टी मोड रडार लगा है। पुलवामा आतंकी हमले और डोकलाम विवाद के समय भी P-8I जेट्स को तैनात किया गया था।
जैगुआर और मिराज लगातार कर रहे सॉर्टीज
भारतीय वायुसेना ने मिराज-2000 और जैगुआर लड़ाकू विमानों को भी तैनात किया है। मिराज ने बालाकोट एयर स्ट्राइक्स के वक्त अहम भूमिका निभाई थी। फिलहाल इन्हें लेह और श्रीनगर एयरबेसेज पर तैनात किया गया है।
IAF की शान हैं Su-30MKI जेट्स
रूस के सुखोई और भारत के HAL ने मिलकर Su-30MKI को बनाया है। यह भारत की जरूरतों के हिसाब से टेलर-मेड है और इसमें फ्रेंस और इजरायली सिस्टम भी लगे हैं। 3,000 किलोमीटर की रेंज वाले से एयरक्राफ्ट एयर-टू-सरफेस मिसाइलों और घातक बमों को गिराने में सक्षम हैं। हाल ही में जब राफेल लड़ाकू विमान फ्रांस से भारत आ रहे थे तो उन्हें Su-30MKI ही एस्कॉर्ट कर रहे थे।
प्रैक्टिस में जुटे हैं राफेल
IAF के सबसे नए सदस्य यानी राफेल लड़ाकू विमानों को जरूरत पड़ने पर लद्दाख में तैनात किया जाएगा। फिलहाल वे हिमाचल प्रदेश की बर्फीली वादियों में रात के वक्त अभ्यास कर रहे हैं। पहाड़ों के बीच कठिन रास्तों में उनका यह अभ्यास पूर्वी लद्दाख में चीन और कश्मीर में पाकिस्तान से लड़ाई के हालात में बेहद काम आएगा। यहां हिमालय की चोटियों की टेरेन वहां से काफी हद तक मिलती-जुलती है। जो राफेल आए हैं, उनके साथ Meteor बियांड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल, MICA मल्टी मिशन एयर-टू-एयर मिसाइल और SCALP डीप-स्ट्राइक क्रूज मिसाइल्स लगी हैं। इससे भारतीय वायुसेना के जांबाजों को हवा और जमीन पर टारगेट्स को उड़ाने की जबर्दस्त क्षमता हासिल हो चुकी है।
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