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भारत और चीन के बीच तनाव (India China Tension) को कम करने के लिए आज दोनों देशों के बीच मेजर जनरल स्तर की बातचीत होने वाली है। इससे पहले कमांडर स्तर की पांच बैठकें हो चुकी हैं जो बेनतीजा रहीं। भारत चीन को विवादित इलाके से पीछे हटने पर सहमत करना चाहता है लेकिन चीन हर बार उल्टे भारत को ही पीछे हटने को कहना लगता है। इस वजह से बातचीत का कोई हल नहीं निकल पा रहा है।
Edited By Ankit Ojha | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:

- चीन के साथ तनाव कम करने के लिए जा दोनों देशों में मजर जनरल स्तर की बातचीत होने वाली है
- लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की पांच बैठकों के बाद भी चीन के साथ सहमति नहीं बन पाई
- चीन फिंगर 4 इलाके से तो पीछे हट गया है लेकिन अब भी फिंगर 8 में भारतीय सैनिकों की गश्ती पर आपत्ति करता है
- भारत चीन को विवादित इलाके से पीछे हटाना चाहता है जिससे दोबारा झड़प न हो
नई दिल्ली
भारत और चीन के बीच अब भी तनाव (India China Faceoff) का माहौल पूरी तरह शांत नहीं हुआ है। LAC पर सबकुछ यथास्थिति करने के लिए कमांडर स्तर बातचीत से कोई पुख्ता हल नहीं निकला। इसके बाद अब तनाव को कम करने के लिए आज मेजर जनरल स्तर की वार्ता हो रही है। आर्मी के सूत्रों के मुताबिक यह बातचीत दौलत बेग ओल्डी इलाके में हो रही है। भारत और चीन के सैन्य प्रतिनिधियों के बीच गलवान क्षेत्र के उत्तर में देपसांग के मैदानी इलाकों से सैनिकों को हटाने के संबंध में वार्ता वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास शनिवार सुबह शुरू हुई।
3 माउंटेन डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल अभिजीत बापट भारतीय पक्ष से वार्ता की अगुवाई कर रहे हैं। बैठक का मुख्य एजेंडा देपसांग के मैदानी इलाकों की स्थिति से निपटना है, जिसमें देपसांग के अपोजिट लगभग 15,000 चीनी सैनिकों का बड़ा जमावड़ा है। बैठक में 16,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित 900 वर्ग किलोमीटर के मैदानों से सैनिकों को वापस बुलाने और वहां से हटाने की प्रणाली पर काम करने के बारे में चर्चा होगी। भारतीय सेना की देपसांग के मौदानों में अच्छी पैठ है जबकि पीपल्स लिबरेशन आर्मी अपने पूर्वी छोर पर है।
देपसैंग से चीन को पीछे हटाने की कोशिश
सूत्रों के मुताबिक इस बातचीत का अजेंडा देपसैंग इलाके में तनाव कम करना और विवादित सीमा से दूर हटने पर सहमति बनाना होगा। बता दें कि जीन ने देपसैंग में अपने 1500 से ज्यादा सैनिक तैनात कर रखे हैं। इधर भारत ने भी बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती की है। जहां बातचीत होनी है यह जगह 16000 फीट की ऊंचाई पर है। भारत पहले भी चीन पर दबाव डाल चुका है कि वह अपने सैनिकों को पीछे हटा ले जिससे तनाव की स्थिति कम हो जाए हालांकि चीन अभी फिंगर एरिया से ज्यादा पीछे नहीं हटा है।
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मई से ही उग्र हैं चीन के सैनिक
मई से ही चीन के सैनिक LAC पर काफी उग्र व्यवहार कर रहे हैं और इसी वजह से पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसक झड़प हो गई थी। इसमें भारत के सैनिक शहीद हुए थे और चीनी सैनिक भी मारे गए थे। इसके बाद तनाव बढ़ गया। हालांकि चीन बाद में पीछे हटने को मजबूर हो गया। अब भारत चाहता है कि चीन की टुकड़ियां फिंगर एरिया में न रहें जिससे दोबारा विवाद होने का चांस कम हो जाए। अभी तक चीन इसपर सहमत नहीं हुआ है। वहीं कई जगहों पर चीन के सैनिक भारतीय जवानों को गश्त भी नहीं करने दे रहे। इस मामले में भी आज बैठक में बात हो सकती है।
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वाई एरिया में कब्जा करना चाहता है चीन?
देप्सैंग के प्लेन में वाई-जंक्शन पर भी चीन ने भारत की पट्रोलिंग अवरुद्ध कर दी है। यह इलाका एक बॉटलनेक की तरह है जहां से दो रास्ते फूटते हैं। बीच के इलाका विवादित है इसलिए यहां पर किसी भी देश के सैनिकों की उपस्थित से तनाव पैदा हो जाता है। चीन अकसर यहां अंदर घुसने की कोशिश करता है जिसकी वजह से भारतीय सैनिकों के साथ झड़प हो जाती है।
5वें दौरी की बैठक भी रही थी बेनतीजा
हाल ही में भारत और चीन के बीच पांचवें दौर की लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बैठक हुई थी लेकिन यह भी बेनतीजा ही रही। यह बैठक लगभग 10 घंटे तक चली थी। भारत ने चीन पर पीछे हटने का दबाव बनाया तो चीन भी भारत से पैंगोंग त्सो से पीछे हटने को कहने लगा। भारत ने उसके प्रस्ताव को पुरजोर विरोध के साथ ठुकरा दिया। भारत फिंगर 8 को एलएसी मानता है और वहीं तक पट्रोलिंग करता था लेकिन चीन का कहना है कि भारत को फिंगर चार से भी पीछे हट जाना चाहिए।
फिंगर चार का इलाका भारत में आता है। भारत के सैनिक फिंगर 8 तक गश्त किया करते थे लेकिन अब चीन के सैनिक इसपर आपत्ति करने लगे हैं। चीन के सैनिक फिंगर 4 तक घुस आए थे लेकिन बातचीत के बाद वे फिंगर 5 तक पीछे हटने को मजबूर हो गए।

सांकेतिक तस्वीर
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