IAS शाह फैसल ने छोड़ा अपनी पार्टी का अध्यक्ष पद, इस्तीफे के बाद सर्विस में लौटने की अटकलें

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Edited By Shreyansh Tripathi | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:

शाह फैसल (फाइल फोटो)शाह फैसल (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स

  • आईएएस शाह फैसल ने जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी के अध्‍यक्ष पद से दिया इस्‍तीफा
  • शाहल फैसल दोबारा सिविल सेवा में लौट सकते हैं, वह नए एलजी के अडवाइजर बन सकते हैं
  • सिविल सेवा से इस्‍तीफा देकर राजनीति में आए थे फैसल, बनाई थी अपनी नई पार्टी

श्रीनगर

जम्मू-कश्मीर कैडर के आईएएस अफसर शाह फैसल ने एक बार फिर नौकरशाही में लौटने का फैसला किया है। शाह फैसल ने पूर्व में नौकरी छोड़कर अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई थी, जिसके बाद वह घाटी में राजनीतिक संभावनाओं की तलाश करते रहे। हालांकि अब राज्य में नए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के आगमन के बाद शाह फैसल ने अपनी राजनीतिक पार्टी छोड़ दी है। शाह फैसल के नौकरशाही में लौटने और उनके लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा का अडवाइजर बनने की अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि उन्होंने खुद अभी इसे लेकर कोई बयान नहीं दिया है।

जानकारी के अनुसार शाह फैसल ने सोमवार को जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। शाह फैसल पूर्व में जम्मू-कश्मीर के डायरेक्टर एजुकेशन रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में बीते दिनों उन्होंने अपनी जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी बनाई थी। इस पार्टी में तमाम नए लोगों को शामिल भी किया गया था। हालांकि राजनीतिक समीकरणों के बदलने और राज्य में शीर्ष पद पर लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा की तैनाती होने के बाद ये कहा जा रहा है कि शाह फैसल उनकी टीम का हिस्सा बन सकते हैं।

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2010 में यूपीएससी परीक्षा के टॉपर बने थे शाह फैसल

गौरतलब है कि उन्होंने साल 2010 की सिविल सेवा परीक्षा में टॉप किया था और उन्हें आईएएस का होम कैडर आवंटित किया गया था। एक ईमानदार अधिकारी के रूप में लोकप्रिय फैसल के शुभचिंतकों ने उन्हें साल 2018 में राजनीति में शामिल होने के लिए इस्तीफा देने पर आगाह किया था कि हो सकता है राजनीति उन्हें रास न आए।

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2019 में बनाई थी जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट

वहीं सूत्रों का यह भी कहना है कि सरकार ने हाल ही में उन्हें यह महसूस कराया कि उनके सिविल सेवा में वापस शामिल होने से ‘उन्हें कोई ऐतराज नहीं’ है। यदि वह वापस प्रशासनिक सेवा में शामिल होने का विकल्प चुनते हैं, तो वह जम्मू और कश्मीर में सबसे कम राजनीतिक करियर के लिए एक और रिकॉर्ड बनाएंगे। उन्होंने जेकेपीएम की स्थापना 2019 की शुरुआत में काफी धूमधाम से की थी।

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