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नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:

दिल्ली में यहां मुफ्त मिलेगा प्लाज्मा
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में दो प्लाज्मा बैंक की स्थापना की है। यहां पर उन कोरोना मरीजों के लिए मुफ्त में प्लाज्मा उपलब्ध हैं जिन्हें डॉक्टर ने प्लाज्मा थेरेपी प्रिस्क्राइब की है। इन ब्लड बैंक्स में किसी भी ब्लड ग्रुप का हाई क्वालिटी फ्री प्लाज्मा मिलेगा। दिल्ली के दो प्लाज्मा बैंक यहां पर हैं:
1. इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलरी साइंसेज (ILBS) प्लाज्मा बैंक
पता : डी-1, वसंत कुंज
2. लोक नारायण जय प्रकाश (LNJP) प्लाज्मा बैंक
पता : जवाहर लाल नेहरू मार्ग
दिल्ली में कैसे पाएं मुफ्त प्लाज्मा?
इन दोनों प्लाज्मा बैंक से मुफ्त में प्लाज्मा लेने के लिए दिल्ली सरकार ने एक ट्रोल-फ्री नंबर जारी किया है। आप 1800-111-747 पर फोन पर प्लाज्मा के बारे में जानकारी ले सकते हैं। इसके अलावा अपने अस्पताल के नोडल अधिकारी से भी संपर्क किया जा सकता है।
स्टॉक बना रहे, इसका भी इंतजाम
प्लाज्मा बैंक में पर्याप्त स्टॉक रहे, इसके लिए दिल्ली सरकार ने सभी अस्पतालों और मरीजों से जल्द से जल्द रिप्लेसमेंट डोनर अरेंज करने की अपील की है। यानी जैसे आपको खून के बदले खून मिलता है, वैसे ही प्लाज्मा के बदले प्लाज्मा मिलेगा।
प्लाज्मा क्या होता है?
शरीर में मौजूद खून के कई हिस्से होते हैं। आरबीसी, डब्ल्यूबीसी और प्लेटलेट्स के अलावा अन्य सभी द्रव्य सामग्री को प्लाज्मा कहा जाता है। मानव शरीर के ब्लड में करीबन 55 प्रतिशत से अधिक प्लाज्मा होता है। प्लाज्मा में पानी के अलावा हार्मोंस, प्रोटीन, कार्बन डाइऑक्साइड और ग्लूकोस मिनरल पाए जाते हैं। ब्लड में हिमोग्लोबिन और आयरन की वजह से खून लाल होता है लेकिन यदि प्लाज्मा को ब्लड से अलग कर दिया जाए तो यह हल्का पीला तरल बन जाता है। प्लाज्मा का काम हार्मोन, प्रोटीन और पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न हिस्सों तक ले जाना है। जब बॉडी में किसी भी तरह का वायरस या बैक्टीरिया अटैक करता है तो हमारी बॉडी उससे लड़ना शुरू कर देती है जिसके बाद बॉडी में ऐंटीबॉडी बनती है और फिर ऐंटीबॉडी उस बीमारी के खिलाफ लड़ाई लड़ता है।
आसान भाषा में समझें, क्या होती है प्लाज्मा थेरेपी?
प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना का इलाज कैसे?
एम्स के लैब मेडिसिन डिपार्टमेंट में एमडी डॉ़ राजीव रंजन बताते हैं कि जो लोग कोरोना वायरस से ठीक हो चुके हैं, उनमें कोरोना वायरस के खिलाफ ऐंटीबॉडी तैयार हो जाती है। यह ऐंटीबॉडी वायरस के खिलाफ लड़ने में सक्षम होती है। ऐसे में ठीक हो चुके मरीजों के प्लाज्मा को कोविड पेशेंट में ट्रांसफ्यूज किया जाता है। ठीक हो चुके मरीज से जब प्लाज्मा थैरेपी के जरिए ऐंटीबॉडी कोविड मरीज की बॉडी में डाली जाती है तो वायरस का असर कम होने लगता है। इस पूरी प्रक्रिया को प्लाज्मा थेरेपी कहा जाता है। कोरोना से ठीक हो चुके एक व्यक्ति के प्लाज्मा को दो कोविड पेशेंट में ट्रांसफ्यूज किया जा सकता है।
कौन डोनेट कर सकता है प्लाज्मा?
कोरोना के लिए प्लाज्मा वही डोनेट कर सकता है जो वायरस से संक्रमित होकर रिकवर हो चुका हो। रिकवरी के 14 दिन बाद ही प्लाज्मा डोनेट कर सकत हैं। इसके लिए डोनर की उम्र 18 से 60 साल के बीच होनी चाहिए। ऐसे लोग प्लाज्मा नहीं दे सकते जिनका वजन 50 किलो से कम है। साथ ही कैंसर सर्वाइवर, डायबिटीज या अनियमित ब्लड प्रेशर वालों का प्लाज्मा भी नहीं लिया जाता।
प्लाज्मा डोनेट करने से कोई नुकसान?
प्लाज्मा डोनेट करने से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है। यह एक बार डोनेट करने के बाद यह बॉडी में तेजी से बनने लगता है। दिल्ली सरकार भी कह चुकी है कि जो लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं, वह प्लाज्मा डोनेट करने के लिए आगे आएं ताकि गंभीर मरीजों की जान बचाई जा सके।
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