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केस 1: हीर खान

हिंदू-देवताओं पर अभद्र भाषा का प्रयोग करने वाली इस्लामी कट्टरपंथी महिला हीर खान को उत्तर प्रदेश की प्रयागराज पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यू-ट्यूब चैनल ‘ब्लैक डे 5 अगस्त’ पर हीर खान ने हिन्दू देवी-देवताओं के लिए बेहद अभद्र भाषा का प्रयोग किया था। वीडियो में देवी सीता और अयोध्या के बारे में भी काफी आपत्तिजनक बातें कही गई थीं। वीडियो वायरल होने के बाद एफआईआर दर्ज हुई और 24 घंटे में प्रयागराज पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
केस 2: उपासना आर्य

हीर खान का वीडियो वायरल होने के बाद उपासना आर्य नाम की महिला का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। वीडियो में उपासना आर्य देवी सीता को गाली देने वाली हीर खान के बहाने पैगंबर मोहम्मद और मुसलमानों के बारे में गालियां बक रही हैं। लोग सोशल मीडिया पर उपासना की गिरफ्तारी की मांग उठी है। लोग हैशटैग ArrestUpasanaArya के साथ लगातार पोस्ट कर रहे हैं।
केस 3:सुष्मिता सिन्हा

हाल ही में एक अन्य वीडियो वायरल हुआ जिसमें सुष्मिता सिन्हा नाम की एक महिला पत्रकार ने हरितालिका तीज के व्रत को लेकर काफी बुरा-भला कहा। इसके अलावा सुष्मिता ने देवी-देवताओं पर भी अपमानजनक टिप्पणी की। वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर सुष्मिता को गिरफ्तार करने की मांग उठने लगी और #ArrestSushmitasinha भी ट्रेंड हुआ। हालांकि बाद में सुष्मिता ने अपनी सफाई दी और कहा कि उनका वीडियो काटकर शेयर किया गया। उनके कहने का मतलब था कि किताब में महिलाओं के विरोध में बातें लिखी हैं जबकि पुरुषों के लिए कुछ भी नहीं है। किताब की कहानी महिला विरोधी है, इसलिए वह सिर्फ इस कहानी के विरोध में थीं।
हिट होने के चक्कर में होगी जेल

सोशल मीडिया के जानकारों का मानना है कि इस तरह के वीडियो और कॉन्टेंट को पोस्ट करके लोग सस्ती लोकप्रियता पाना चाहते हैं। ऐसा माना जाता है कि विवादित लिखने या बोलने से हिट्स और लाइक्स मिलते हैं और फॉलोअर भी बढ़ जाते हैं। हालांकि इस तरह की सोच रखने वालों को पता होना चाहिए कि हिट्स और लाइक के चक्कर में जेल की हवा खानी पड़ सकती है।
हो सकती है कड़ी कार्रवाई

कानूनी जानकारों के मुताबिक, किसी खास समूह, धर्म, समुदाय या किसी धर्म के देवी-देवताओं, पैगंबर के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों, उनके मजहब, नस्ल, जन्म स्थान, आवास या भाषा पर हमले के मामले में 153-A के तहत कार्रवाई हो सकती है। यह एक संज्ञेय अपराध है। इसके लिए 3 साल तक कैद या जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती है। अगर यह अपराध किसी धर्मस्थल में किया जाता है तो इसकी सजा 5 साल तक हो सकती है।
धारा 505 के तहत भी हो सकता है ऐक्शन

जब किसी वर्ग या समुदाय का कोई व्यक्ति किसी अन्य वर्ग या समुदाय के लोगों को भड़काने के लिए कोई अपराध करता है तो आईपीसी की धारा 505 के तहत कार्रवाई हो सकती है। इसके अलावा धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, आवास, भाषा, जाति या समुदाय के आधार पर अलग-अलग वर्गों के बीच शत्रुता, नफरत या वैमनस्य फैलाने वाले बयान देने, प्रकाशित करने या फैलाने पर भी इस धारा का इस्तेमाल होता है। सोशल मीडिया साइट्स पर जानबूझकर ऐसी पोस्ट या कमेंट करने पर जिसमें झूठी बातें या अफवाहें हों और वो किसी की भावनाओं को भड़काने वाली हों, इस धारा का इस्तेमाल किया जाता है। इस धारा के तहत दोषी को 3 साल तक कैद या जुर्माना या फिर दोनों सजाएं हो सकती हैं।
आईटी ऐक्ट के तहत भी हो सकती है कार्रवाई

इंटरनेट के जरिए किए गए अपराध के मामले में इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी ऐक्ट की धारा 66 का इस्तेमाल होता है। इसमें दोषी पाए जाने पर 3 साल तक कैद या 5 लाख रुपये तक जुर्माना या दोनों सजाएं हो सकती हैं।
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