सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया 2009 में जजों के भ्रष्टाचार को लेकर की गई टिप्पणी पर प्रशांत भूषण का माफीनामा

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Contempt of Court Case against Prashant Bhushan : बीते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने 2009 के कंटेप्ट मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 के कंटेप्ट से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर हमने स्पष्टीकरण व माफीनामा स्वीकार नहीं किया तो मामले की आगे सुनवाई की जाएगी।

Edited By Naveen Kumar Pandey | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:

प्रशांत भूषण पर कस रहा है शिकंजा।प्रशांत भूषण पर कस रहा है शिकंजा।
हाइलाइट्स

  • 2009 में दिए गए एक बयान को लेकर प्रशांत भूषण पर शिंकजा कस रहा है
  • सुप्रीम कोर्ट ने इस बयान पर प्रशांत भूषण की तरफ से माफी मांगे जाने को स्वीकार नहीं किया
  • कोर्ट ने कहा कि वो अब देखेगा कि क्या उनका बयान अदालत की अवमानना करता है

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) पर शिंकजा कसता नजर आ रहा है। देश की सर्वोच्च अदालत ने 2009 में दिए उनके बयान (Prashant Bhushan 2009 comment) पर उनकी क्षमा याचना को स्वीकार नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो भूषण के बयान को इस कसौटी पर कसेगा कि क्या यह सर्वोच्च अदालत की अवमानना करता है या नहीं। ध्यान रहे कि प्रशांत भूषण ने 2009 में कहा था कि पूर्व के 16 में से आधे चीफ जस्टिस (CJI) भ्रष्ट थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब वो देखेगा कि क्या भूषण के इस बयान से प्रथम दृष्टया अदालत की अवमानना (Contempt Of Court) होती है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर सुनवाई 17 अगस्त से शुरू करेगा।



4 अगस्त को सुरक्षित रखा था फैसला
इससे पहले, 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 के कंटेप्ट से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर हमने स्पष्टीकरण और माफीनामा स्वीकार नहीं किया तो मामले की आगे सुनवाई की जाएगी। प्रशांत भूषण और तरुण तेजपाल के खिलाफ 2009 में कंटेप्ट की कार्रवाई में नोटिस जारी किया गया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हुई और अदालत ने वकीलों से फोन के जरिए दलील सुन थी।

ट्वीट्स पर भी फंसे हैं प्रशांत भूषण

ध्यान रहे कि प्रशांत भूषण अदालत की एक और अवमानना मामले का सामना कर रहे हैं। उन्होंने मौजूदा चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की एक तस्वीर पर तीखी टिप्पणी की थी। उन्होंने ट्विटर पर चीफ जस्टिस के खिलाफ टिप्पणी की। साथ ही एक और ट्वीट के जरिए उन्होंने कहा था कि देश के पिछले चार मुख्य न्यायाधीशों पर निशना साधा था। हाल ही में किए गए दोनों पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को कंटेप्ट मामले में नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण ने अपने जवाब में कहा था कि चीफ जस्टिस की स्वस्थ आलोचना अवमानना नहीं है।

प्रशांत भूषण के ट्वीट को लेकर कंटेप्ट केस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित



सुप्रीम कोर्ट में भूषण की दलील


प्रशांत भूषण की ओर से सीनियर ऐडवोकेट दुष्यंत दवे पेश हुए और उन्होंने कहा कि प्रशांत ने जो ट्वीट किए उसमें न्याय प्रशासन की गरिमा पर कोई सवाल नहीं हैं। दवे ने एडीएम जबलपुर जजमेंट का हवाला दिया और कहा कि एक अंग्रेजी अखबार में इस जजमेंट के बाद जज की आलोचना की गई थी लेकिन फिर भी कोई अवमानना की कार्रवाई नहीं की गई थी। उन्होंने कहा कि भूषण का ट्वीट जूडिशरी को प्रोस्ताहित करने वाला है। अदालत ने कहा कि ऐसे केस में कोई पक्ष जीतता नहीं बल्कि गंवाते ही हैं।

दुष्यंत दवे ने कहा कि स्वस्थ आलोचना गलत नहीं है। न सिर्फ भारत बल्कि यूके के केस भी उनकी दलील को सपोर्ट करते हैं। उन्होंने दलील दी कि ऐडमिनिस्ट्रेशन ऑफ जस्टिस एक ठोस नींव पर खड़ा है और वह भूषण के ट्वीट से प्रभावित नहीं हो सकता। कोई ये दावा नहीं कर सकता कि वह अमोघ है, यहां तक कि जज भी नहीं। दवे ने दलील दी कि भूषण ने सालों से तमाम मामलों में याचिका दायर की जिनमें फैसला हुआ इनमें कोलगेट केस और 2 जी केस शामिल हैं।

Web Title sc to see whether prashant bhushan 2009 comment amounts to contempt or not(Hindi News from Navbharat Times , TIL Network)

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