सरकार तभी हरकत में आती है जब कोर्ट आदेश पारित करता है: SC

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NBT
हाइलाइट्स

  • सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने कहा
  • हमने ये अनुभव किया है कि सरकार एक्ट नहीं करत- सुप्रीम कोर्ट
  • मीडिया में सेल्फ गवर्निंग बॉडी है लेकिन सरकार ही एक्शन ले सकती है

नई दिल्ली

तबलीगी जमात के मामले में कई मीडिया की गलत रिपोर्टिंग पर सवाल उठाने वाली जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court On Tabligi) ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार तब तक हरकत में नहीं आती जब तक कि कोर्ट उन्हें निर्देश नहीं देती।

चीफ जस्टिस ने सरकार को लगाई लताड़

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि हमने ये अनुभव किया है कि सरकार एक्ट नहीं करती जब तक कि हम निर्देश जारी नहीं करते। अदालत ने ये टिप्पणी तक कि जब याचिकाकर्ता के वकील दुश्यंत दवे ने सुनवाई के दौरान कहा कि मरकज मामले में मीडिया ने गलत रिपोर्टिंग की थी और ऐसे में सिर्फ सरकार चाहे तो एक्शन ले सकती है। मीडिया में सेल्फ गवर्निंग बॉडी है लेकिन सरकार ही एक्शन ले सकती है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के वकील ने कोर्ट को बताया कि पीसीआई ने मामले ेमं संज्ञान लिया है और गलत रिपोर्टिंग के 50 मामले सामने आए थे और इस मामले में जल्द ही आदेश पारित होगा।

जवाब दाखिल करने को कहा

जमीयत की अर्जी पर केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दाखिल करने को कहा था। तब केंद्र सरकार की ओर से दाखिल जवाब में कहा गया था कि सरकार ने गलत खबर को रोकने के लिए कदम उठाए हैं। लेकिन मीडिया को रोकने के लिए आदेश पारित नहीं हो सकता। अगर ऐसा हुआ तो अभिव्यक्ति की आजादी खत्म हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट दो हफ्ते बाद सुनवाई करेगी।

नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने 27 मई को उस याचिका पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था जिसमें याचिकाकर्ता जमीयत उलेमा ए हिंद ने अर्जी दाखिल कर आरोप लगाया है कि कुछ टीवी चैनलों ने तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज की घटना से संबंधित फर्जी खबरें दिखाई।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा ऐसी बातें लॉ एंड ऑर्डर बन जाती है

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल से कहा था कि वह कानून व्यवस्था के मामले में किसी को भड़काने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। बाद में ऐसी बातें लॉ एंड ऑर्डर का मामला बन जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने पीसीआई से कहा था कि वह दो हफ्ते में बताएं कि इस मामले में क्या किसी चैनल पर केबल टीवी रेग्युलेशन एक्ट के तहत कानून के कथित उल्लंघन पर कोई एक्शन हुआ। याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि मरकज मामले में फेक न्यूज दिखाने से देश की सेक्युलर छवि को ठेस पहुंचा है।

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