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Sandeep Maheshwari Sanskrit controversy: यूट्यूब पर मोटिवेशनल विडियोज से मशहूर हुए संदीप माहेश्वरी ने संस्कृत का विरोध किया है। उनका एक विडियो वायरल होने पर सोशल मीडिया में उनसे माफी मांगने को कहा जा रहा है।
Edited By Deepak Verma | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:

- यूट्यूबर और मोटिवेशनल स्पीकर हैं संदीप माहेश्वरी, यूट्यूब के लिए बनाते हैं विडियोज
- एक विडियो में किया संस्कृत का विरोध, कहा- किसी से संस्कृत में बात नहीं करते
- माहेश्वरी ने कहा- जबर्दस्ती संस्कृत क्यों पढ़ा रहे? ट्विटर पर होने लगे ट्रोल
- यूजर्स ने लगाया ट्रेंड- क्षमा मांगो संदीप माहेश्वरी, करीब 45 हजार ट्वीट्स
नई दिल्ली
भारत की नई शिक्षा नीति (NEP) में संस्कृत और भारतीय भाषाओं पर जोर दिया गया है। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रेटेशन (IITI) का गठन होगा। संस्कृत को ‘मेनस्ट्रीम’ करने की बात कही गई है और इसके तीन भाषाओं वाले फॉर्म्युले में एक भाषा के रूप में रखा गया है। मशहूर यूट्यूबर संदीप माहेश्वरी इस कदम के खिलाफ हैं। उन्होंने अपने चैनल पर जब कहा कि संस्कृत की इस जमाने में कोई जरूरत नहीं है तो सोशल मीडिया पर विरोध शुरू हो गया है। ट्विटर पर बकायदा ट्रेंड चलाकर माहेश्वरी से माफी मांगने को कहा जा रहा है। बुधवार को ट्विटर पर #क्षमा_मांगो_संदीप_माहेश्वरी टॉप ट्रेंड्स में था।
संस्कृत पर क्या बोले थे संदीप माहेश्वरी?
अपने चैनल पर अपलोड एक विडियो में माहेश्वरी कहते हैं, “न मुझे संस्कृत में किसी से बात करनी है। क्योंकि संस्कृत में जो भी किताबें पहले लिखी गई हैं, वो हिंदी/इंग्लिश में कन्वर्ट हो चुकी हैं तो मैं हिंदी में पढ़ लूंगा या इंग्लिश में पढ़ लूंगा। जबर्दस्ती क्यों पढ़ा रहे हो? यहां पर एक आइडिया हो सकता है, जो मेरा विचार है। या तो इसको खत्म कर दिया जाए। इससे एक बोझ कम होगा। सोचो एक तरफ फ्रेंच पढ़ा रहे हो या संस्कृत पढ़ा रहे हो, ऊपर से जाके ट्यूशन भी लेनी पड़ रही है। ऊपर से उसका कोई यूज भी नहीं है। अपने मां-बाप को देखा है कभी संस्कृत में एक-दूसरे से बात करते हुए?” इसके बाद माहेश्वरी कुछ वाक्य बोलकर संस्कृत का ‘मजाक’ बनाते हैं।
संस्कृत का मजाक उड़ाने पर भड़के यूजर्स
ट्विटर पर बड़ी संख्या में यूजर्स ने संदीप माहेश्वरी के इस बयान को ‘बेवकूफी’ करार दिया है। प्रियंका नाम की यूजर ने कहा कि ‘चाहे जिस भी टॉपिक पर चर्चा हो रही थी, आप हमारी संस्कृत भाषा का मजाक नहीं उड़ा सकते। हम अलजेब्रा, ट्रिगोनोमेट्री और बहुत से टॉपिक्स का डे-टू-डे लाइफ में इस्तेमाल नहीं करते। क्या इसका मतलब ये है कि हम सिलेबस से उसे हटा दें?’ एक अन्य यूजर ने लिखा कि ‘संस्कृत देवों की भाषा है। यह सभी भाषाओं की जननी है। मैं केवल संस्कृत व्याकरण जानकर सभी भारतीय भाषाओं से जुड़ सकती हूं। मैं संदीप माहेश्वरी का सम्मान करती हूं लेकिन उन्होंने जो कहा, वो स्वीकार्य नहीं है।’
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कुछ यूजर्स ने माहेश्वरी का यह कहते हुए बचाव किया है कि यह उनकी निजी राय है। निशांत नाम के एक शख्स ने लिखा कि अगर संस्कृत इतनी ही महत्वपूर्ण थी तो सरकार 1947 से क्या कर रही थी?
अभी इस पूरे विवाद पर संदीप माहेश्वरी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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