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पुलिस मुख्यालय ने सभी ज़िलों के एसपी से इसकी जानकारी मंगवायी है.
वाराणसी (Varanasi) में गंगा नदी (Ganga River) का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है, इससे सभी प्रमुख घाटों का आपसी संपर्क टूट गया है, वहीं कई मंदिर डूब गए हैं. इसके अलावा घाटों के आसपास स्थित इलाके बाढ़ के संकट से जूझ रहे हें.
दशाश्वमेध घाट पर सामान्य से 20 फुट ज्यादा पानी इस समय
इस बार सामान्य से करीब 20 फुट ज्यादा पानी इस वक्त दशाश्वमेध घाट पर है. इस वजह से एक ओर जहां घाटों का आपसी संपर्क पूरी तरह टूट गया है. वहीं दूसरी ओर अधिकतर मंदिर पानी में समा गए हैं. आलम ये है कि जिन घाटों पर आप पैदल चहलकदमी करते थे, वहां पर गंगा का पानी है और उस पर नाव चल रही हैं.
ये प्रमुख मंदिर डूबेवाराणसी के सबसे प्रमुख घाट दशाश्वमेध पर स्थित शीतला मंदिर की दीवारों तक पानी पहुंच गया है. सती मां का मंदिर, शूलटंकेश्वर मंदिर और गुफा वाला मंदिर डूब गया है. जिसकी वजह से उसे बंद कर दिया गया है. हनुमान मंदिर तक पानी पहुंच गया है. वहीं मणिकर्णिका घाट पर नीचे का शवदाह स्थल पूरी तरह से पानी में डूब गया है. मजबूरी में ऊपर शवदाह किया जा रहा है. गंगा का पानी लगातार एक-एक सीढ़ी चढ़ रहा है. मणिकर्णिका घाट स्थित रत्नेश्वर महादेव का गर्भगृह पूरी तरह से डूबने के बाद अब मां गंगा शिखर के बिल्कुल नजदीक पहुंच गई हैं. जैसे-जैसे पानी चढ़ रहा है वैसे-वैसे लोगों की धड़कनें भी बढ़ रही हैं. पिछले साल भी गंगा ने जबरदस्त रौद्र रूप दिखाया था.
गंगा से सटे इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ा
गंगा के बढ़ते जलस्तर से वाराणसी में गंगा से सटे इलाकों में बाढ़ का खतरा सताने लगा है. लंका थाने के सामने घाट स्थित मारुति नगर कालोनी में नाला चोक होने से पूरी कालोनी धीरे-धीरे टापू बनती जा रही है. गंगा में उफान के चलते नाविकों की भी रोजी-रोटी एक बार फिर संकट में है. लंबे अरसे तक लॉकडाउन में फंसे होने के बाद अब जब नौका संचालन शुरू हुआ तो बाढ़ के कारण नाविकों ने मंदिरों और मुख्य सीढ़ियों से अपनी नावें बढ़ा दी हैं. गंगा के कारण वरुणा और अन्य नदियों में पलट प्रवाह से तटवर्ती इलाकों में खलबली मची है.
आरती स्थल में अभी और बदलाव की संभावना
विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती के प्रधान अर्चनक रणधीर ने बताया कि तीसरी बार गंगा आरती का स्थान बदलना पड़ा है. आगे जिस तरीके से लगातार गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है, उसको देखते हुए भविष्य में अभी और जगह बदलनी पड़ सकती है. फिलहाल आलम ये है कि जिन इलाकों में लोग पैदल चलकर एक घाट से दूसरे घाट की दूरी नापते थे, वो रास्ते अब पूरी तरह से गंगा में समा गए हैं और वहां पानी भर गया है. पानी में ऊपर उठकर अब वहां नाव खड़ी हो गई हैं.
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