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ये हुई थी कार्रवाई
विदेशी जमातियों की जमानत अर्जी पर उनके वकील सैय्यद अहमद नसीम और मोहम्मद खालिद की दलीलों को सुनकर जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. इन जमातियों पर आरोप है कि तबलीगी मरकज़ निज़ामुद्दीन दिल्ली से दो अलग-अलग जमातों में लौटे जमातियों ने प्रयागराज में ठहरने की जानकारी छिपाने के साथ ही साथ वीजा नियमों का भी उल्लंघन किया था. इस मामले में दो अलग-अलग एफआईआर थाना शाहगंज और थाना करेली में दर्ज की गई थी. शाहगंज थाने में 7 इंडोनेशियाई जमातियों सहित 17 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर धारा 188, 269, 270, 271, आईपीसी 3 महामारी अधिनियम,व 14 बी,14 सी में दर्ज की गई थी.
प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद भी बनाए गए थे 120बी के आरोपीजिसमें बाद में इलाहाबाद सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद को भी 120बी का आरोपी बनाया गया था. इसके साथ ही करेली थाने में भी दूसरे प्रकरण में इन्हीं धाराओं में 24 मार्च से ही मस्जिद हेरा में ठहरे 9 थाईलैंड के जमातियों और मस्जिद इमाम उज़ैफ़ा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. इन्हें करेली के महबूबा पैलेस में क्वारेंटाइन किया गया था और बाद में 21 अप्रैल को गिरफ्तारी कर चालान कर दिया गया था.
इमाम उजैफा और दो अनुवादकों को मिल चुकी है बेल
7 इंडोनेशियाई तब्लीगी जमात के लोगों और केरल व पश्चिम बंगाल के दो अनुवादकों को अब्दुल्ला मस्जिद मरकज़ में छिपाने के लिए 9 लोगों को ज़िम्मेदार बताया गया था. करेली प्रकरण में इमाम उज़ैफ़ा व दोनों अनुवादकों को पहले ही जिला कोर्ट से जमानत मिल चुकी है. इसके साथ ही अब्दुल्ला मस्जिद के 11 संरक्षण देने वालों की जमानत भी पहले ही जिला कोर्ट स्वीकार कर चुकी है.
जिला कोर्ट बंद होने के कारण हाईकोर्ट में अर्जी
कोविड के संक्रमण के चलते जिला कोर्ट के लगातार बन्द रहने के कारण विदेशी जमातियों की जमानत अर्जी जिला कोर्ट में दाखिल नहीं हो सकी थी. जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय संदीप कुमार बत्रा बनाम स्टेट ऑफ महाराष्ट्र व अन्य धरम सिंह बनाम स्टेट ऑफ यूपी 2018, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की विधि व्यवस्था सूरज कुमार बनाम स्टेट ऑफ यूपी 2020 के तहत जिला न्यायालय के बन्द रहते 439 दण्ड प्रक्रिया संहिता में उच्च न्यायालय में भी प्रार्थना पत्र दी जा सकती है.
न वीजा नियम का उल्लंघन किया, न संक्रमण फैलाया: दलील
आरोपियों की ओर से दो प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया था, जिसमें कहा गया कि सभी आरोपियों पर संक्रमण फैलाने, वीज़ा का दुरुपयोग करने का आरोप है. आरोपियों की ओर से कहा गया कि जब कई बार की टेस्टिंग में सभी निगेटिव पाए गए. जब वे स्वयं संक्रमित नहीं थे तो संक्रमण फैलाने का औचित्य नहीं. किसी प्रकार से वीजा के नियमों का उल्लंघन भी नहीं हुआ है क्योंकि वीजा नियम के पैरा-15 में स्पष्ट है कि टूरिस्ट वीज़ा पर धार्मिक कार्यक्रमों में सम्मिलित हो सकते हैं.
अपराध होने से पहले ही अपराधी बना दिया गया
सबसे बड़ी बात ये है कि केंद्र सरकार द्वारा 2 अप्रैल को सभी डीजीपी को निर्देश जारी किया गया और प्रेस नोट जारी कर पूरे देश में जमातियों के खिलाफ विभिन एक्ट में कार्यवाही को निर्देशित किया गया. जो सबित करता है कि अपराध होने से पहले ही अपराधी बना दिया गया. सबसे आश्चर्यजनक बात ये भी है की सभी विदेशियों के यहां रुकने की सभी औपचारिकताएं पूरी की गईं.
इन्हें मिली जमानत
भारत सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट पर फॉर्म सी भी जो ज़रुरी होती है, 24 मार्च को ही अपलोड कर दिया था तथा एलआईयू व पुलिस को भी सूचित कर दिया गया था. उनके द्वारा किसी प्रकार का कोई भी अपराध नहीं किया गया है. दोनों प्रार्थना पत्रों में जमानत का पर्याप्त आधार पाते हुए थाना शाहगंज के मामले में इंडोनेशिया के इदरिस उमर, अदि कुस्तीना, समसुल हादी, इमाम साफी, सतिजो जोइडिनो, हेन्द्रा सिंम्बोलन, डैडीके इसकेन्डेर व थाना करेली के मामले में थाईलैंड के मोहम्मद मदाली, हसन पाचो, सिथि पोन, सुरस्क, अरसेनन, अब्दुल बसीर, अब्दुनल, उपदान वहाब, रोमली कोली की जमानत अर्जी हाईकोर्ट ने स्वीकार कर ली है.
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