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हाईकोर्ट का फैसला सुनकर जब भावुक हुए थे सीएम योगी (file photo)
निर्देश ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ का होता था और आन्दोलन की कमान योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) संभालते थे. उसी दौरान देशभर के साधु संतों से उनका निकट संबंध बना.
पहली बार हुई थी महंत अवेद्यनाथ से मुलाकात
दरअसल अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए जितने भी आन्दोलन हुए उन सभी आन्दोलनों में गोरक्षपीठ के संतों का अहम रोल है. गोरक्षपीठाधीश्वर/मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी राममंदिर आन्दोलन में अहम रोल रहा है. नाथ संप्रदाय के रिसर्चर डॉक्टर प्रदीप राव का कहना है कि अगर राम मंदिर निर्माण के लिए आन्दोलन नहीं हो रहे होते तो योगी आदित्यनाथ की मुलाकात महंत अवेद्यनाथ ने नहीं हुई होती. रामजन्मभूमि मुक्त यज्ञ समिति के अध्यक्ष महंत अवेद्यनाथ 1993 में जनजागरूकता के लिए उत्ताखंड गये थे, और वहीं पर पहली बार योगी आदित्यनाथ की मुलाकात हुई थी.
योगी ने संभाली राम मंदिर निर्माण की कमानजिसके बाद वो गोरक्षनाथ मंदिर चले आते हैं और सन्यास ग्रहण कर लेते हैं. 1994 में महंत अवेद्यनाथ उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाते हैं. प्रदीव राव कहते हैं जब वो गोरक्षपीठ के उत्तारधिकारी होते हैं तो सिर्फ वो पीठ के ही नहीं उस वैचारिक धाती के भी उत्तराधिकारी बनते हैं तो गोरक्षपीठ मानती है साथ उन राम आन्दोलनों के भी उत्तराधिकारी होते है जो महंत अवेद्यनाथ ने चलाया था. जिसकी मजबूत नीव दिग्विजयनाथ के साथ नाथ पीठ के संतों ने रखी थी. 1994 के बाद राममंदिर निर्माण को लेकर जो भी अभियान चला उन सभी आन्दोलनों की अगुवाई योगी आदित्यनाथ ने ही की.
ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ की इच्छा को किया पूरा
निर्देश ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ का होता था और आन्दोलन की कमान योगी आदित्यनाथ संभालते थे. उसी दौरान देशभर के साधु संतों से उनका निकट संबंध बना. योगी के गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ हमेशा कहते करते थे की हमारी एक ही इच्छा है कि भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर एक भव्य मंदिर का निर्माण शुरू हो जाए. महंत योगी आदित्यनाथ अपने गुरुदेव की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए संकल्पबद्ध रहे हैं, और उसी संकल्पबद्धता के साथ रामजन्मभूमि आन्दोलन के पक्ष में काम किया.
गोरखपुर में विश्व हिन्दु महासंघ की बैठक
चाहे वो सामाजिक स्तर हो या फिर सांस्कृतिक स्तर पर हो, गोरक्षपीठ में जब भी कोई कार्यक्रम हुआ तो हर कार्यक्रम में रामजन्मभूमि का विषय जरूर होता था. श्रीरामजन्म भूमि पर भव्य राममंदिर निर्माण का संकल्प लिया जाता था. योगी आदित्यनाथ के गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी घोषित होने के बाद पहली परीक्षा 1997 में हुई जब गोरखपुर में विश्व हिन्दु महासंघ की बैठक हुई और इस बैठक में देश विदेश के साधु संतों ने हिस्सा लिया. हिन्दु धर्म के साथ साथ राममंदिर निर्माण का भी संकल्प लिया गया.
दोहराया था राममंदिर निर्माण का संकल्प
1998 में योगी आदित्यनाथ महंत अवेद्यनाथ के राजनीतिक उत्तराधिकारी बने, उसके बाद 2002 में हिन्दु युवा वाहिनी का गठन किया. 2003 में एक बार फिर विश्व हिन्दु महासंघ की बैठक गोरखपुर में हुई जिसमें अशोक सिंघल सहित वीएचपी के भी नेताओं ने शिरकत किया साथ ही देश और विदेश के हजारों साधुओं ने इस बैठक में हिस्सा लिया. 2006 में गोरखपुर और 2008 में बलरामपुर में विश्व हिन्दु महासंघ की बैठक हुई. इन सभी बैठकों की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथ में थी और सभी बैठकों में राममंदिर निर्माण का संकल्प दोहराया गया.
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