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इसकी खासियत को देखते हुए ही देश के बड़े-बड़े मंदिरों और भवनों में इन पत्थरों को लगया गया है.(प्रतीकात्मक तस्वीर)
अयोध्या (Ayodhya) में भगवान राम (God Rama) का भव्य मंदिर बनाने के लिए राजस्थान (Rajasthan) के बंशी पहाड़पुर (Banshi Paharpur) के पत्थरों (Stones) को खासतौर पर मंगाया गया है. देश के कई अक्षरधाम मंदिरों, संसद भवन, लालकिला और इस्कॉन के अधिकांश मंदिरों में यह पत्थर लगा हुआ है.
राम मंदिर में लगेगा बंशी पहाड़पुर का पत्थर
बता दें कि एक बार फिर से राजस्थान का नाम शौर्य के साथ-साथ राम काज से भी जुड़ जाएगा. प्रदेश के तमाम धार्मिक स्थलों की मिट्टी तो अयोध्या पहुंच ही चुकी है और अब बारी है इन पत्थरों की जिन पर कारीगरों की मेहनत का पसीना है. छैनी और हथौड़ी से अपने भावों को गढते कारीगर रामकाज के इस हवन में अपनी श्रद्धा के साथ मेहनत को भी आहूत कर रहे हैं. ये इसलिए कि अयोध्या में लगने वाला यह पत्थर युगों-युगों के लिए राजस्थान के योगदान की पताका को थामे रहे.

राजस्थान का नाम शौर्य के साथ-साथ राम काज से भी जुड़ जाएगा.(File)
यूं हो रहा है काम
पत्थरों पर नक्काशियां का काम चल रहा है. कारीगर रामधुन के साथ नक्काशी कर रहे हैं. पिलर, गुम्बद, जालियां, कनपट, भेडासरा, ठेबी और पाट बनाए जा रहे हैं. कहीं कोई कमी ना रहें इस बाबत पूरा ख्याल रखा जा रहा है. रामकाज के लिए युद्धस्तर पर चल रहे इस काम को पत्थर व्यवसायी अपना और राजस्थान का सौभाग्य मान रहे हैं.
चार लाख घन फीट पत्थर का उपयोग होगा
राम मंदिर निर्माण के लिए लगभग चार लाख घन फीट पत्थर का उपयोग होगा. इसमें से लगभग 2.75 लाख घन फीट पत्थर भरतपुर के बंसी पहाड़पुर का सैंड स्टोन का होगा. बंसीपहाड़पुर से यह पत्थर बेडौल रूप में आता है और फिर कटर से कटिंग के बाद सीएनजी मसीन पर प्रोग्राम लॉडिंग कर आर्किटेक्ट द्वारा परफोर्मा तैयार कर डिजाइन ड्रॉइंग किया जाता है. इसके बाद शुरू होता है कार्बिंग का काम. कार्बिंग मतलब हाथ से कारीगरी और सफाई. फिर पॉलिश और जरूरत के मुताबिक उसका आकार दिया जाता है.
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एक बार फिर से बंशी पहाड़पुर गौरान्वित है, क्योंकि राममंदिर निर्माण के लिए उसका पत्थर काम में लिया जा रहा है. राम मंदिर निर्माण में ये पत्थर नई इबारत लिखेगा. देश के प्रसिद्ध मंदिरों में पहले से ही इस पत्थर का इस्तेमाल हो चुका है.
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