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अयोध्या में राम जन्मभूमि परिसर में मिले अवशेष
राम जन्म भूमि में विराजमान भगवान श्री रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं कि ये ऐतिहासिक शिलापट स्थल को चिन्हित करता है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा 9 नवंबर को आए फैसले में भी यह शिलापट रामलला के जन्म स्थान होने का प्रमाण देता है.
इसी से रामलला विराजमान स्थल चिन्हित हुआ: सत्येंद्र दास
राम जन्म भूमि में विराजमान भगवान श्री रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के मुताबिक परिसर में लगी शिलापट श्री रामलला विराजमान स्थल को चिन्हित करता है. उनके मुताबिक अयोध्या तीर्थ विवेचनी सभा द्वारा राम जन्म स्थान को चिन्हित किया गया था. वही 9 नवंबर को आए फैसले में भी यह शिलापट रामलला के जन्म स्थान होने का प्रमाण देता है, इसलिए अभी तक इस शिलापट को नहीं हटाया जा सका है. यही गर्भगृह स्थल पर विराजमान रामलला के स्थान को दर्शाता है.
यथास्थिति बरकरार रहेगीआचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि रामलला के परिषद के बगल में स्थित कसौटी का खंबा ही सबसे महत्वपूर्ण है. इसमें लगे हुए प्राचीन पत्थर में यह स्पष्ट दर्शाया गया है कि यहां से इतनी दूर पर विराजमान रामलला का जन्म स्थान है. राम जन्म भूमि परिसर में समतलीकरण के दरमियान हर एक चीज हटाई गई लेकिन प्राचीन लगे पत्थर और कसौटी के खंभे को यथास्थिति बरकरार रखा गया है. वह यह दर्शा रहा है कि यहां पर राम जन्म स्थान है. उसी चिन्हांकन के हिसाब से भगवान राम के गर्भ गृह का निर्माण किया जाएगा. इन्हीं पत्थरों के माध्यम से फैसला आया था. इन्हीं कसौटी के खंभों से यह सिद्ध हुआ था कि यहां पर नीचे भगवान राम के मंदिर है.
सब सुरक्षित करके दर्शन के लिए रखे जाएंगे
रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के मुताबिक राम जन्म भूमि के समतलीकरण निकले पुरातत्व के अवशेष और कसौटी के खंभे इन सब को सुरक्षित करके रामलला के श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखे जाएंगे. ऐसी भी योजना श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा बनाई जा रही है.
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