यहां 12 साल से रोजाना एक शख्स से मिलने तय समय पर पहुंचते हैं दर्जनों बंदर, जानिए क्यों?

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यहां 12 साल से रोजाना एक शख्स से मिलने तय समय पर पहुंचते हैं दर्जनों बंदर, जानिए क्यों?

मेरठ के हस्तिनापुर में एक शख्स से मिलने रोज बंदर यहां आते हैं.

मेरठ (Meerut) के हस्तिनापुर में एक जगह ऐसी है, जहां रोज दर्जनों बंदर अचानक पहुंचते हैं. ये काफी देर तक शांत एक शख्स के इंतजार में बैठते हैं. संजय के आते ही…

मेरठ. उत्तर प्रदेश के मेरठ (Meerut) में हस्तिनापुर के रहने वाले संजय को अऩोखा जुनून है. संजय चौकीदारी का काम करते हैं लेकिन हस्तिनापुर में घूमने वाले बंदरों (Monkeys) के लिए वो किसी मसीहा से कम नहीं हैं. दरअसल संजय रोज़ाना तय समय पर अपने दोस्त बंदरों को भोजन कराने के लिए पहुंचते हैं. बंदरों को भी मालूम है कि उनके दोस्त संजय कितने बजे पहुंचेंगे? संजय के पहुंचने के पहले बंदर पहुंच जाते हैं.

संजय के इंतजार में शांत बैठे रहते हैं बंदर

चौंकाने वाली बात ये है कि ये बंदर इस तरह दूर-दूर बैठते हैं, देखकर ऐसा लगता है कि जैसे ये सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हों. न कोई उत्पात, न धमाचौकड़ी. इसके बाद संजय आते हैं और एक-एक करके सभी बंदरों को रोटी खिलाते हैं. बंदर बिना कोई हरकत किए चुपचाप बैठकर इत्मिनान से भोजन करते हैं. ये तस्वीरें हस्तिनापुर में उल्टाखेड़ा के पास सुबह 10 बजे, दोपहर करीब 1 बजे, शाम करीब 5 से 6 बजे देखने को मिल जाती हैं. संजय तीनों टाइम यहां बंदरों को पेट भरने पहुंचते हैं.

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रोज एक ही जगह बंदर संजय का इंतजार करते हैं.

12 साल से रोज जारी है सिलसिला

संजय का कहना है कि वो चौकीदारी करते हैं. उन्हें जैन मंदिर के पुजारी की तरफ से भी बंदरों को भोजन कराने के लिए मदद मिलती है. पिछले 12 साल से कोई दिन ऐसा नहीं बीता, जब वो बंदरों को भोजन कराने के लिए तय समय पर न पहुंचते हों. जानवरों के प्रति इस लगाव को देखकर यहां के स्थानीय निवासी आश्चर्यचकित हैं. हस्तिनापुर के लोग संजय को बंदरों का दीवाना कहते हैं लेकिन संजय को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता. वो रोज़ाना उसी जोश के साथ अपना कार्य करते हैं और फिर बंदरों की सेवा करते हैं.



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