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हाइलाइट्स:
- चेन्नै के हॉस्पिटल में ब्रेन डेड शख्स ने दी कई नई जिंदगियां
- गाजियाबाद के कोरोना संक्रमित व्यक्ति को मिला फेफड़ा
- मुंबई में दोनो हाथ गंवा चुकी लड़की का सफल ट्रांसप्लांट
- लीवर, हार्ट, किडनी को भी अलग हॉस्पिटल्स में भेजा गया
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद निवासी 48 वर्षीय शख्स का फेफड़ा कोविड-19 की वजह से डैमैज हो चुका था। चेन्नै के हॉस्पिटल में जाते वक्त उनके बचने की उम्मीद बहुत कम थी। वहीं 6 साल पहले ट्रेन हादसे में अपने हाथ गंवाने वाली मुंबई की मोनिका मोरे का फिर से हाथ पाने का सपना ट्रांसप्लांट के जरिये पूरा हो गया। अब दोनों ही परिवार अंग देने वाले 34 साल के शख्स का शुक्रिया अदा कर रहे हैं, जिन्हें डॉक्टर्स ब्रेन डेड घोषित कर चुके हैं।
ग्लोबल हॉस्पिटल की चेन्नै ब्रांच में ब्रेन डेड हुए शख्स की पत्नी ने अंगों को डोनेट करने की मंजूरी दे दी। उनके लीवर, हार्ट, लंग को अलग अस्पतालों में दो मरीजों को सौंपा गया। किडनी को दो मरीजों को जेम हॉस्पिटल में सौंपा गया। स्किन को SIMS हॉस्पिटल में, हाथों को ग्लोबल हॉस्पिटल मुंबई में सौंपा गया।
मोनिका का ट्रांसप्लांटेशन 8 महीनों से प्लानिंग स्टेज में ही था लेकिन फोरआर्म डोनेशन रेयर ही होते हैं। मोनिका की फैमिली को चेन्नै हॉस्पिटल से डोनर के बारे में पता चला। क्रॉस मैच के बाद डोनेटेड आर्म्स स्पेशल चार्टर फ्लाइट में देर रात भिजवाया गया। ऑर्गन देर रात 2 बजे ऑपरेशन थिएटर में आया और फिर शाम साढ़े पांच बजे ट्रांसप्लांट पूरा हुआ।
मुंबई के कुर्ला की रहने वाली मोनिका के दोनों हाथ घाटकोपर स्टेशन पर हुई दुर्घटना में चले गए थे। वह हैंड ट्रांसप्लांट कराने वाली मुंबई की पहली पेशेंट बन गई हैं। डॉक्टर्स के अनुसार उनका ऑपरेशन बिल्कुल सफल रहा और उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया है।
वहीं गाजियाबाद के बिजनसमैन को कोरोना हो गया था, जिसकी वजह से उनका लंग डैमेज हो गया। चेन्नै के हॉस्पिटल में उनकी ऑर्गन ट्रांसप्लांट सर्जरी 8 घंटे तक चली। डॉक्टर सुरेश राव ने बताया कि मरीज अभी वेंटिलेटर पर हैं लेकिन जगे हुए हैं। उन्होंने परिजन से मुलाकात की। दो महीने तक बेड पर पड़े रहने के बाद मरीज ने अपने हाथों और उंगलियों को हिलाया-डुलाया। काफी कमजोर हो जाने की वजह से डॉक्टर्स ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा है, रिकवरी में समय लगेगा।
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