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हाइलाइट्स:
- सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने फिर कहा कि वो अपने बयान पर माफी नहीं मांगेंगे
- देश की सर्वोच्च अदालत ने उन्हें अपने बयानों पर दोबारा विचार करने का वक्त दिया था
- अवमानना का दोषी पाए गए प्रशांत भूषण के जवाब पर 25 अगस्त की सुनवाई के दौरान विचार किया जाएगा
सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण ने अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा है कि वह अपने टि्वट के लिए माफी नहीं मांगेगे। प्रशांत भूषण ने टि्वट किया था और उसे सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी मानते हुए अवमानना का दोषी करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अपने बयान पर दोबारा विचार करते हुए माफी मांगने को कहा था। मामले में 25 अगस्त को सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट को भूषण ने कहा कि अगर मैं अपने बयान से हटता हूं और एक निष्ठाहीन माफीनामा पेश करता हूं तो वह मेरी खुद की चेतना के साथ अवमानना होगा।
…तो मेरी चेतना की अवमानना होगी: प्रशांत भूषण
प्रशांत भूषण ने एडवोकेट कामिनी जयसवाल के माध्यम से अपना पूरक बयान सुप्रीम कोर्ट में पेश किया। अदालत को प्रशांत भूषण ने कहा कि उनका ट्वीट अपने विश्वास भरोसे का प्रतीक है और वह उस पर कायम हैं। प्रशांत भूषण ने कहा कि लोगों का इस मामले में किया गया भरोसा भी मुझे नागरिक के दायित्व निर्वहन के लिए कहता है और ऐसे में इन विश्वास और भरोसे के लिए कोई भी माफी चाहे, वह शर्त के साथ हो या फिर बिना शर्त के माफी हो वह निष्ठाहीन और छल के सिवा कुछ न होगा। प्रशांत भूषण ने कहा कि उनका बयान बोनाफाईड है और पूरी सच्चाई पर आधारित है लेकिन कोर्ट ने उस बयान में दिए गए तथ्यों का परीक्षण नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट को भूषण ने कहा कि अगर मैं अपने बयान से हटता हूं और एक निष्ठाहीन माफीनामा पेश करता हूं तो वह मेरी अपनी चेतना की अवमानना होगी।
वस्तुस्थिति ये है कि मैंने इस संस्थान के लिए जो कुछ भी किया है उससे ज्यादा पाया है। मैं समझता हूं कि सुप्रीम कोर्ट मौलिक अधिकार के प्रोटेक्शन की आखिरी उम्मीद है। इस कोर्ट से लोगों की उम्मीद बंधी होती है। जब बतौर कोर्ट ऑफिसर मुझे लगता है कि इसमें भटकाव हो रहा है तो मैं आवाज उठाता हूं। मैं बेहतरी के लिए आवाज उठाता हूं, सुप्रीम कोर्ट की या किसी चीफ जस्टिस के कद को नीचे करने के लिए नहीं।
प्रशांत भूषण, अदालत की अवमानना के दोषी पाए गए वरिष्ठ वकील
प्रशांत भूषण ने दी दलीलें
प्रशांत भूषण ने अपने दो पेज के बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 20 अगस्त के ऑर्डर को देखने के बाद उन्हें घोर निराशा और दुख हुआ है। सुनवाई के दौरान मुझे कहा गया कि 2-3 दिन में अपने बयान पर दोबारा विचार करें लेकिन फिर ऑर्डर में मुझे बिना शर्त माफी मांगने के लिए कहा गया। मेरे लिए ये खुशनसीबी है कि मैंने इस संस्थान के लिए सेवा दी है और कोर्ट के सामने कई महत्वपूर्ण मामले लाए हैं। वस्तुस्थिति ये है कि मैंने इस संस्थान के लिए जो कुछ भी किया है उससे ज्यादा पाया है। मैं समझता हूं कि सुप्रीम कोर्ट मौलिक अधिकार के प्रोटेक्शन की आखिरी उम्मीद है। इस कोर्ट से लोगों की उम्मीद बंधी होती है। जब बतौर कोर्ट ऑफिसर मुझे लगता है कि इसमें भटकाव हो रहा है तो मैं आवाज उठाता हूं। मैं बेहतरी के लिए आवाज उठाता हूं, सुप्रीम कोर्ट की या किसी चीफ जस्टिस के कद को नीचे करने के लिए नहीं। मेरी आलोचना सकारात्मक तरीके से लेना चाहिए ताकि कोर्ट किसी भी अफवाह आदि को काबू करे। सुप्रीम कोर्ट संविधान का गार्जियन है और लोगों के अधिकार का कस्टोडियन है।
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कोर्ट ने दिया था बयान पर विचार करने का वक्त
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को दो दिनों का वक्त दिया गया था कि वह अपने बयान पर दोबारा विचार करे। प्रशांत भूषण से सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उन्होंने कोर्ट में जो बयान दिया है उसमें उन्होंने अपने टि्वट पर माफी से नहीं मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण से कहा कि वह दोबारा अपने बयान पर विचार करें। इस दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा कि प्रशांत भूषण को सजा न दी जाए तब कोर्ट ने कहा कि हम उन्हें दोषी करार दे चुके हैं। अदालत ने कहा था कि जो लोग अपनी गलती मान लेते हैं उनके लिए वह बेहद नरम हैं। अदालत ने बाद में अपने ऑर्डर में कहा था कि हमने प्रशांत भूषण को बिना शर्त माफी मांगने के लिए वक्त दिया है अगर वह इसके लिए तैयार हैं तो उन्हें 24 अगस्त तक माफीनामा पेश करना होगा। अगर माफीनामा पेश किया जाता है तो हम उस पर 25 अगस्त को विचार करेंगे।
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