प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 का कंटेप्ट मामला चीफ जस्टिस के पास भेजा गया

[ad_1]

हाइलाइट्स:

  • प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 के एक कंटेप्ट मामले को चीफ जस्टिस के पास भेजा गया
  • चीफ जस्टिस एसए बोबडे इस मामले को अब उचित बेंच के सामने भेजने पर करेंगे फैसला
  • बता दें कि 2009 में भूषण ने कई पूर्व मुख्य न्यायधीशों के खिलाफ दिया था बयान

नई दिल्ली
प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 (2009 Contempt Case Against Prashant Bhushan) में शुरू हुए कंटेप्ट मामले को सुप्रीम (Supreme Court) कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे (CJI SA Bobde) के पास भेज दिया है ताकि मामले को 10 सितंबर को उचित बेंच के सामने भेजा जा सके। प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने दलील दी थी कि इस मामले में जो सवाल उठे हैं उसे संवैधानिक बेंच के सामने रेफर किया जाए। गौरतलब है कि जस्टिस मिश्रा दो सितंबर को रिटायर हो रहे हैं। यानी अब चीफ जस्टिस तय करेंगे कि मामले को किस बेंच के सामने भेजा जाए।

भूषण ने 2009 में पूर्व चीफ जस्टिसों पर लगाया था बड़ा आरोप
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने कहा कि बड़ा सवाल इस मामले में आया है कि जब किसी जज पर करप्शन का आरोप लगाया जाता है तो क्या वह पब्लिक डोमेन में जा सकता है उसकी क्या प्रक्रिया है। बता दे कि 2009 में भूषण ने 16 पूर्व मुख्य न्यायाधीशों में से आधे को भ्रष्ट कहा था। कोर्ट इस मामले की ही सुनवाई कर रही है।

भूषण के वकील ने दी कोर्ट में दलील
इस दौरान राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने दलील दी कि इस मामले में हमने भी सवाल कोर्ट के सामने दिया है। फ्री स्पीच का जो जूरिस्प्रूडेंस है उसमें स्वयं संज्ञान के कंटेप्ट के मामले में क्या प्रभाव है। यानी अदालत ने खुद समय-समय पर अभिव्यक्ति की आजादी को व्यापक किया है उसका प्रभाव कंटेप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट पर जो पड़ता है उस पर विचार की जरूरत है और वह संवैधानिक बेंच को सुनना चाहिए। राजीव धवन ने कहा कि मामले में अटॉर्नी जनरल को नोटिस किया जाना चाहिए।

कानून सबसे ऊपर है: सिब्बल
तब जस्टिस मिश्रा ने कहा कि इसे दूसरे बेंच के लिए छोड़ा जाना चाहिए साथ ही मामले में एमिकस क्यूरी की भी जरूरत है। तरुण तेजपाल के लिए पेश वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कहा कि व्यापक सिद्धांत का मामला है कि अदालत कितना सुप्रीम है। कानून सबसे ऊपर है। हम आते रहेंगे और जाते रहेंगे लेकिन संस्थान सबसे ऊपर है और बन रहेगा। उसे प्रोटेक्ट करने की जरूरत है। कानून सबके लिए समान तौर पर लागू होता है। मामले को संवैधानिक बेंच भेजा जाए।

अब मेरिट के आधार सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 के अदालत की अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट मेरिट पर आगे सुनवाई करेगा। प्रशांत भूषण ने मामले में जो स्पष्टीकरण दायर किया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्टीकरण को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि मामले में मेरिट पर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त को कहा था कि प्रशांत भूषण और जर्नलिस्ट तरुण तेजपाल के खिलाफ वह अवमानना के मामले का परीक्षण करेगा और इस बात को एग्जामिन करेगा कि उन्होंने जजों के खिलाफ जो टिप्पणी की थी वह आपत्तिजनक टिप्पणी अदालत की अवमानना है या नहीं।

शीर्ष अदालत ने सुरक्षित रख लिया था फैसला
4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा था कि अगर हमने स्पष्टीकरण/माफीनामा स्वीकार नहीं किया नहीं किया तो मामले की आगे सुनवाई की जाएगी।सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट मामले में आगे की सुनवाई करेगी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल फ्रेम किया है कि अगर जज पर कोई आरोप लगाता है तो किस परिस्थिति में उसे पब्लिक किया जा सकता है? रिटायर और सीटिंग जज पर ऐसे आरोप लगाने के बारे में क्या प्रक्रिया होनी चाहिए?

[ad_2]

Source link

Tags:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *