छोटा पैकेट से बड़ा कमाल का दावा, Corona से बचने के लिए खरीद रहे हैं लोग, जानें हकीकत

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छोटा पैकेट से बड़ा कमाल का दावा, Corona से बचने के लिए खरीद रहे हैं लोग, जानें हकीकत

कोरोना से बचाव के लिए एक पैकेट के रूप नया प्रोडक्ट बाजार में बिक रहा है.

COVID-19 से बचाव के लिए बाजार में मिल रहे पैकेट को लेकर दावा किया जा रहा है कि इस पैकेट के पहनने से एक घन मीटर के दायरे में कोरोना वायरस (Coronavirus) का संक्रमण नहीं होगा. स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक ने दावे को खारिज किया.

लखनऊ. कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) से बचाव के लिए हर दिन कोई न कोई आइटम बाजार में आ जा रहा है. इन दिनों एक ऐसे पैकेट की धूम मची है जिसके बारे में ये दावा किया जा रहा है कि इससे COVID-19 का संक्रमण नहीं होगा. लोग इसे अपनी जेब के ऊपर या फिर गले में लटकाकर घूमते नजर आ रहे हैं. एक छोटे से पैकेट में न जाने ऐसा क्या है जिसके बारे में ये दावा किया जा रहा है कि इससे कोरोना वायरस आपके एक घन मीटर के दायरे में आते ही मर जायेगा.

पैकेट को खोलने के 60 दिनों तक इसकी वैधता बताई गई है. मार्केट में इस पैकेट की कीमत 150 से 250 रुपए तक है. इसका इस्तेमाल करने वाले कानपुर के गोल्डी शर्मा ने बताया कि उनके पिता ने उन्हें इसे दिया और कहा कि इसे गले में लटकाने से कोरोना का खतरा नहीं होगा. वो रोज दफ्तर जाते हैं. लिहाजा सुरक्षा के लिए उन्होंने इसे लटका लिया. गोल्डी शर्मा ने बताया कि उनके कई मित्रों ने भी इसे इस्तेमाल करना शुरू किया है.

पैकेट की बढ़ रही है मांग 

लखनऊ के गोमतीनगर में दवा की दुकान चलाने वाले अखिलेश यादव ने न्यूज़ 18 को बताया कि इन दिनों इस पैकेट की मांग तेजी से बढ़ गयी है. उनके शॉप पर भी इसका स्टॉक मौजूद है. अखिलेश से जब ये पूछा गया कि ये पैकेट किस कम्पनी के हैं और कहां से मंगाए जा रहे हैं. तो उन्होंने बताया कि कंपनी का तो पता नहीं है, लेकिन जापान से इसे लाए जाने की बात कही जा रही है.क्लोरीन बेस्ड मैटेरियल होने की संभावना 

एक हेल्थ कंपनी में काम करने वाले माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि उन्हें इस पैकेट के बारे में पता है. लोग इसे एक और सुरक्षा उपाय के तौर पर अपना रहे हैं. उन्होंने बताया कि पैकेट पर जो छोटा-मोटा डिसक्रिप्शन लिखा है, उससे पता चलता है कि इसमें क्लोरीन बेस्ड कोई मैटेरियल है. वैसे भी सैनेटाइजेशन के लिए हाइपो क्लोराइड का इस्तेमाल किया जाता है. इस पैकेट में क्लोरीन बेस्ड मैटेरियल है जो हवा के साथ प्रतिक्रिया करके कुछ ऐसे रसायन छोड़ता है, जिससे वायरस का खतरा कम हो सकता है. हालांकि ये बहुत विश्वसनीय नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस पैकेट से जो फ्यूम निकलती है वो शरीर के चारों तरफ कोई घेरा नहीं कायम कर सकती, बल्कि हवा की दिशा में बह जायेगी. बन्द वातावरण में तो इसका असर थोड़ा हो सकता है.

हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि ये पैकेट किसी भी सूरत में मास्क या हैण्ड सैनेटाइजर का विकल्प नहीं हो सकता. कुछ दिनों पहले अमेरिका में इसे लेकर काफी चर्चा हुई थी और बाद में इसे खारिज कर दिया गया था. दूसरी तरफ अगर ये पैकेट फट जाये और इसके अंदर का मैटेरियल शरीर को छू जाये तो उसके अलग नुकसान हो सकते हैं.

स्वास्थ्य विभाग के डीजी ने भी दावे को खारिज किया

यूपी के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी ने इस पैकेट की उपयोगिता को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि ये सब बेकार की चीजें हैं. इनसे कोई बचाव नहीं होता. ये उपाय कहीं से भी रिकमेण्डेड नहीं है. यानी किसी भी स्थापित संस्था ने इसे अपनाने को नहीं बोला है. हमलोग वही करते हैं जो आइसीएमआर कहता है. न्यूज़ 18 ने उनसे पूछा कि क्या स्वास्थ्य विभाग लोगों को ठगने के ऐसे उपायों पर प्रतिबंध के बारे में कुछ करेगा तो उन्होंने कहा कि इसे देखेंगे. लोगों को भी तो समझना चाहिए कि किससे बचाव होगा और किससे नहीं. जो सरकार बता रही है उसे करना चाहिए बल्कि कोई उल-जुलूल उपाय नहीं.



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