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कोरोना संकट में घर चलाने के लिए राष्ट्रीय खिलाड़ियों को सब्जी बेचनी पड़ रही है.
कोरोना (Corona) के चलते घर की माली हालत खराब हुई तो राष्ट्रीय स्तर के दो खिलाड़ी (National Players) परिवार चलाने के लिए ठेले पर सब्जी बेचने को मजबूर हो गये. सुनील चौहान बॉक्सिंग (Boxing) और नीरज चौहान तीरंदाज़ी (Archery) में पदक जीत चुके हैं.
खिलाड़ियों का कहना है कि कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता है. वे सब्ज़ी का ठेला लगाना अपनी शान समझते हैं, क्योंकि कोई गलत काम नहीं बल्कि मेहनत से कमा रहे हैं.
बॉक्सिंग और तीरंदाजी में जीत चुके हैं पदक
बॉक्सिंग में सुनील चौहान खेलो इंडिया में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं तो वहीं नीरज चौहान सीनियर तीरंदाज़ी में रजत पदक विजेता हैं. कोरोनाकाल में पिता का रोज़गार छिन जाने की वजह से घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था. लिहाज़ा दोनों ने तय किया कि वे पिता का सहारा बनेंगे और सब्ज़ी बेचेंगे. जब पहली बार ये दोनों सब्ज़ी का ठेला लेकर निकले तो लोगों की निगाहों ने इन्हें परेशान किया. लेकिन आज ये दोनों खिलाड़ी इस काम को फक्र से करते हैं.पिता ने लगाई सरकार से मदद की गुहार
पिता का कहना है कि उनके दोनों बेटे ही उनके लिए सबकुछ हैं. पिता सरकार से अपने दोनों खिलाड़ी बेटों के लिए मदद की गुहार लगाई है.
कोरोना के चलते पिता को काम से हटा दिया गया
पिता अक्षय चौहान मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले हैं. लेकिन पिछले 23 साल से वो मेरठ के कैलाश प्रकाश स्टेडियम में बतौर संविदाकर्मी काम कर रहे थे. स्टेडियम के हॉस्टल में रहने वाले खिलाड़ियों के लिए खाना बनाते थे. स्टेडियम में ही परिवार के साथ रहते हैं. लेकिन कोरोना के चलते जब स्टेडियम के खिलाड़ी अपने अपने घर चले गए तो अक्षय को भी काम से हटा दिया गया. जिसके बाद परिवार के सामने रोज़ी रोटी का संकट पैदा हो गया. हालात ये हो गया कि घर में खाने को कुछ नहीं बचा. घर का दूध तक बंद करना पड़ा. मजबूरी में अक्षय किराये पर ठेला लेकर सब्जी बेचने लगे. पिता के इस काम में दोनों खिलाड़ी बेटे भी हाथ बंटा रहे हैं. इनका सपना ओलम्पिक जीतने का है.
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