[ad_1]

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का घर अब यादों में सिमट के रह जाएगा
भारत रत्न (Bharat Ratna) उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan) के परिजनों का कहना है कि उनकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है, यहां तक कि खाने को भी लाले पड़े हैं और सरकार या प्रशासन ने उनकी कोई मदद नहीं की, इसलिए ये कदम उठाना पड़ रहा है.
परिवार ने कहा- माली हालत ठीक नहीं
वाराणसी (Varanasi) के बेनिया बाग की तंग गलियों में बिस्मिलाह खान का मकान है. भारत रत्न बिस्मिल्ला खान का ये घर अब एक बदहाल इमारत में तब्दील हो चुका है. जो अब चंद दिनों में जमीन-दोज हो जाएगा और इसकी जगह पर तीन मंजिला एक कमर्शियल अपार्टमेंट बन जाएगा. उन्हें जानने वाले लोग कहते हैं कि इस मकान में आज भी उस्ताद की यादें संजोई हुई हैं. हैरत की बात है कि सबसे पहले उसी कमरे को जमींदोज किया गया जहां उस्ताद कभी रियाज किया करते थे. बिस्मिल्लाह खान के परिजनों का कहना है कि उनकी माली हालत ठीक नहीं है और परिवार के लोगों को खाने के भी लाले पड़े हुए हैं, ऐसे में ये फैसला किया गया कि इस मकान को अपार्टमेंट में तब्दील कर दिया जाए. वहीं उनके पोते सूफी ने बताया कि इस तीन मंजीले कमर्शियल अपार्टमेंट के एक हिस्से में उस्ताद का संग्रहालय बनाया जाएगा जिसमें उस्ताद की यादों को संजोकर रखा जाएगा.
ये भी पढ़ें- महेंद्र सिंह धोनी के पैतृक गांव में मायूसी, आज भी विकास से कोसों दूर है ल्वाली
मुंशी जी की ही तरह उस्ताद को भी संजोए सरकार
परिवार के लोगों का आरोप है कि जिला प्रशासन ने खान साहब के गुजरने के बाद कई वादे किए लेकिन वो वादे सिर्फ वादे ही रह गए. वक्त बीतने के साथ मकान धीरे-धीरे कमजोर होने लगा और अब गिरने की हालत में है. परिजनों ने यह भी कहा कि जिला प्रशासन अगर इसे धरोहर बनाना चाहे तो बना सकता है लेकिन हमारी रोजी-रोटी की व्यवस्था भी सही करे. जिला प्रशासन हो या सरकार इस धरोहर को नजरअंदाज करने की सच्चाई इस मकान की हालत ही बयान कर रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि वाराणसी में जिला प्रशासन ने जैसे मुंशी प्रेमचंद्र (Munshi Premchand) के मकान को एक धरोहर बनाया, उसी तरीके से उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के मकान को भी धरोहर बनाए जाने पर सरकार और प्रशासन को जरूर विचार करना चाहिए, नहीं तो उस्ताद की इस धरोहर के साथ वाराणसी एक सदी की यादों को भी खो देगा.
[ad_2]
Source link