कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर WHO की चेतावनी, जादुई गोली की तरह नहीं होगा असर

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Coronavirus Vaccine Updates: कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही दुनिया को अगले कुछ महीनों में वैक्सीन के आने की उम्मीद लगी हुई है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि यह वैक्सीन कोई जादुई गोली नहीं होगी जो कोरोना वायरस को पलक झपकते खत्म कर देगी।

Edited By Priyesh Mishra | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:

विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुखविश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख
हाइलाइट्स

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख ने कहा- जादुई गोली नहीं होगी कोरोना वायरस की वैक्सीन
  • दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस वैक्सीन के 100 फीसदी प्रभावी होने पर जताया संदेह
  • रूस में 12 अगस्त को पंजीकृत होगी कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन, दुनियाभर की टिकी निगाहें

जेनेवा

कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही दुनिया को अगले कुछ महीनों में वैक्सीन के आने की उम्मीद लगी हुई है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि यह वैक्सीन कोई जादुई गोली नहीं होगी जो कोरोना वायरस को पलक झपकते खत्म कर देगी। डब्लूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडहोम घेब्येयियस ने कहा कि हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है इसलिए सबको साथ मिलकर प्रयास करने होंगे।

अमेरिकी शीर्ष वैज्ञानिक के सलाहकार ने भी दी चेतावनी

अमेरिका के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ एंथोनी स्टीफन फॉसी के वरिष्ठ सलाहकार डेविड मारेंस ने कहा कि वैक्सीन बनाने का हर प्रयास एक अंध परीक्षण की तरह होता है। जो शुरुआत में तो अच्छे परिणामों के साथ आता है लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं होती कि अंतिम चरण में भी वह वैक्सीन अपने ट्रायल के दौरान सफल साबित हो। हम आशा करते हैं कि हम पहली बार में ही इसे सही से कर पाएंगे और 6 से 12 महीनों के भीतर हमारे पास एक अच्छी वैक्सीन होगी।

वैक्सीन की सफलता पर कई वैज्ञानिकों को संदेह

अमेरिका में जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के मिलकेन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ में वैश्विक स्वास्थ्य के सहायक प्रोफेसर वैक्सीनोलॉजिस्ट जॉन एंड्रस ने भी कहा कि कोरोना वायरस के एक प्रभावी टीका का विकास इतना निश्चित नहीं है जितना हम सोच रहे हैं। यह खतरनाक है कि वैक्सीन बनाने की रेस में हम यह भूल जाएं कि हमें इस समय क्या करना चाहिए।

रूस का दावा, कोरोना वायरस के क्लिनिकल ट्रायल में 100 फीसदी सफल रही रूसी वैक्‍सीन

12 अगस्त को रूस में वैक्सीन का होगा पंजीकरण

दुनियाभर में रूसी कोरोना वैक्सीन पर उठते सवालों के बीच रूस के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री म‍िखाइल मुराश्‍को ने कहा है कि रूस की वैक्‍सीन ट्रायल में सफल रही है और अब अक्‍टूबर महीने से देश में व्‍यापक पैमाने पर लोगों के टीकाकरण काम काम शुरू होगा। उन्‍होंने कहा कि इस वैक्‍सीन को लगाने में आने वाला पूरा खर्च सरकार उठाएगी। वहीं उप स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ओलेग ग्रिदनेव ने कहा कि रूस 12 अगस्‍त को दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्‍सीन को रजिस्‍टर कराएगा।

20 साल की मेहनत का नतीजा

  • 20 साल की मेहनत का नतीजा

    सेशेनॉव यूनिवर्सिटी में टॉप साइंटिस्ट वादिम तारासॉव ने दावा किया है कि देश 20 साल से इस क्षेत्र में अपनी क्षमता और काबिलियत को तेज करने के काम में लगा हुआ है। इस बात पर लंबे वक्त से रिसर्च की जा रही है कि वायरस कैसे फैलते हैं। इन्हीं दो दशकों की मेहनत का नतीजा है कि देश को शुरुआत शून्य से नहीं करनी पड़ी और उन्हें वैक्सीन बनाने में एक कदम आगे आकर काम शुरू करने का मौका मिला। इस वैक्‍सीन को रूस रक्षा मंत्रालय और गमलेया नैशनल सेंटर फॉर र‍िसर्च ने तैयार किया है।

  • 'स्पेस रेस' सरीखी लड़ाई

    रूस के वेल्थ फंड के मुखिया किरिल दिमित्रीव ने वैक्सीन के विकास की प्रक्रिया को ‘स्पेस रेस’ जैसा बताया है। उन्होंने US TV को बताया, ‘जब अमेरिका ने Sputnik (सोवियत यूनियन की बनाई दुनिया की पहली सैटलाइट) की आवाज सुनी तो वे हैरान रह गए, यही बात वैक्सीन के साथ है। रूस वहां सबसे पहले पहुंचता।’ इससे पहले उन्होंने बताया था कि रूस के पास Ebola और MERS के इलाज पर काम करने का अनुभव है जिससे वैज्ञानिकों को इस महामारी का तोड़ खोजने में मदद मिली है।

  • कैसे काम करती है वैक्सीन?

    रूस की वैक्सीन सामान्य सर्दी जुखाम पैदा करने वाले adenovirus पर आधारित है। इस वैक्सीन को आर्टिफिशल तरीके से बनाया गया है। यह कोरोना वायरस SARS-CoV-2 में पाए जाने वाले स्ट्रक्चरल प्रोटीन की नकल करती है जिससे शरीर में ठीक वैसा इम्यून रिस्पॉन्स पैदा होता है जो कोरोना वायरस इन्फेक्शन से पैदा होता है। यानी कि एक तरीके से इंसान का शरीर ठीक उसी तरीके से प्रतिक्रिया देता है जैसी प्रतिक्रिया वह कोरोना वायरस इन्फेक्शन होने पर देता लेकिन इसमें उसे COVID-19 के जानलेवा नतीजे नहीं भुगतने पड़ते हैं। मॉस्को की सेशेनॉव यूनिवर्सिटी में 18 जून से क्लिनिकल ट्रायल शुरू हुए थे। 38 लोगों पर की गई स्टडी में यह वैक्सीन सुरक्षित पाई गई है। सभी वॉलंटिअर्स में वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी भी पाई गई।

  • इसलिए पश्चिम जता रहा शक

    दूसरी ओर पश्चिमी देशों का आरोप है कि रूस ने उनकी रिसर्च चोरी कर वैक्सीन बनाई है। अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों ने बकायदा बयान जारी कर इस बात का आरोप लगाया था कि रूस की खुफिया एजेंसियों से जुड़े हैकिंग ग्रुप APT29 (Cozy Bear) ने अभियान छेड़ रखा है। उन्होंने दावा किया कि यह ग्रुप रूस की खुफिया एजेंसियों का हिस्सा है और क्रेमलिन के इशारे पर काम करता है। इसके अलावा, रूस की वैक्सीन कितनी सफल और सुरक्षित है, इस सवाल की एक बड़ी वजह यह भी है कि इससे पहले कि वैज्ञानिक फेज-3 के ट्रायल को पूरा करते, वैक्सीन को अप्रूव कर दिया गया है। वैक्सीन की पुख्ता जांच के लिए इसे हजारों लोगों पर टेस्ट किया जाना जरूरी होता है।

  • अक्टूबर तक टीकाकरण की योजना

    रूस के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री म‍िखाइल मुराश्‍को ने कहा है कि रूस की वैक्‍सीन ट्रायल में सफल रही है और अब अक्‍टूबर महीने से देश में व्‍यापक पैमाने पर लोगों के टीकाकरण काम काम शुरू होगा। उन्‍होंने कहा कि इस वैक्‍सीन को लगाने में आने वाला पूरा खर्च सरकार उठाएगी। वहीं उप स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ओलेग ग्रिदनेव ने कहा कि रूस 12 अगस्‍त को दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्‍सीन को रजिस्‍टर कराएगा। रूस का इरादा है कि इस साल सितंबर तक कोरोना वैक्‍सीन को विकसित कर लिया जाए। साथ ही अक्‍टूबर महीने से देशभर में टीकाकरण शुरू कर दिया जाए।

  • रूस की कोरोना वायरस वैक्सीन पर आई गुड न्यूज

‘वैक्‍सीन क्लिनिकल ट्रायल में 100 फीसदी सफल रही’

इससे पहले रूस ने कहा था कि उसकी कोरोना वायरस वैक्‍सीन क्लिनिकल ट्रायल में 100 फीसदी सफल रही है। इस वैक्‍सीन को रूस रक्षा मंत्रालय और गमलेया नैशनल सेंटर फॉर र‍िसर्च ने तैयार किया है। रूस ने कहा कि क्लिनिकल ट्रायल में जिन लोगों को यह कोरोना वैक्‍सीन लगाई गई, उन सभी में SARS-CoV-2 के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता पाई गई।

रूस की कोरोना वायरस वैक्सीन पर आई गुड न्यूजरूस की कोरोना वायरस वैक्सीन पर आई गुड न्यूज

Web Title coronavirus vaccine will not be a magic bullet, who chief warn(Hindi News from Navbharat Times , TIL Network)

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