कश्मीर में 370 की बहाली को लेकर एकजुट हुए सभी दल, चिदंबरम बोले- एकता और साहस को सलाम

[ad_1]

नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटे एक साल पूरा हो चुका है। इस मामले को लेकर एक बार फिर से देश की सियासत गरमा गई है। दरअसल, जम्मू-कश्मीर की सभी बड़ी पार्टियों ने अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर एक साथ आने की बात की और शनिवार को इस संबंध में घोषणा पत्र जारी किया। बता दें कि अनुच्छेद 370 को फिर से राज्य में बहाल करने के लिए जिस घोषणा पत्र को तैयार किया गया है। उसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, जेकेपीसीसी के जीए मीर, माकपा के एमवाई तारीगामी, जेकेपीसी के सज्जाद गनी लोन, जेकेएएनसी के मुजफ्फर शाह के नाम शामिल हैं।

राजनीतिक दलों ने मांग की है कि सरकार जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लागू कर पूर्व स्थिति बहाल करे। दलों द्वारा की गई इस घोषणा का कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने स्वागत किया है। चिदंबरम ने उन छह दलों को सलाम किया है, जिन्होंने केंद्र के इस निर्णय के खिलाफ एकजुट होने का प्रयास किया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट कर कहा है कि मुख्य धारा के छह विपक्षी दलों की एकता और साहस को सलाम जो अनुच्छेद 370 के निरसन के विरूद्ध संघर्ष के लिए कल (शनिवार को) एकजुट हुए। नेशनल कांफ्रेंस और उसके चिर प्रतिद्वंद्वी पीडीपी समेत छह राजनीतिक दलों ने प्रस्ताव जारी कर स्पष्ट किया कि ‘हमारे बगैर हमारे बारे में कुछ’ भी नहीं हो सकता।

ये भी पढ़ें- CWC Meeting: …तो क्या दो धड़ों में बंट गई कांग्रेस…

इस बयान का स्पष्ट संकेत है कि केंद्र को किसी भी संवैधानिक बदलाव को लागू करने से पहले जम्मू कश्मीर के लोगों को विश्वास में लेना होगा। इन राजनीतिक दलों ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत पूर्व राज्य को प्राप्त विशेष दर्जे के निरसन को ‘दुर्भावनापूर्ण अदूरदर्शी’ और ‘बिल्कुल असंवैधानिक’ कदम बताया और पिछले साल के पांच अगस्त से पहले की स्थिति की बहाली के लिए संयुक्त प्रयास करने का संकल्प लिया।

तनाव कम करने के लिए चीन की शर्त, दोनों सेनाएं बराबरी से पीछे जाएं

चिदम्बरम ने लिखा, मैं उनसे अपनी मांग के साथ पूरी तरह से खड़े होने की अपील करता हूं। स्वयंभू राष्ट्रवादियों की तथ्यहीन आलोचना की उपेक्षा करें जो इतिहास को नहीं पढ़ते हैं लेकिन इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश करते हैं।’’ उन्होंने लिखा, ‘‘ भारत के संविधान में राज्यों के लिए विशेष प्रावधान और शक्ति के असमान वितरण के कई उदाहरण हैं। अगर सरकार विशेष प्रावधानों के खिलाफ है तो फिर नागा मुद्दों को वह कैसे सुलझाएगी?’

(कुछ इनपुट भाषा से हैं)

[ad_2]

Source link

Tags:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *