कर्नाटक में लॉकडाउन 2.0 से नहीं हुआ फायदा, दोगुने हुए कोरोना वायरस के केस

[ad_1]

Edited By Shashi Mishra | टाइम्स न्यूज नेटवर्क | Updated:

लॉकडाउनलॉकडाउन

बेंगलुरु

कर्नाटक 14 जुलाई से 22 जुलाई तक एक हफ्ते का लॉकडाउन किया गया था। इस एक हफ्ते का लॉकडाउन कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से नहीं रोक पाया। इस दौरान के सरकारी आंकड़े देखें तो कोरोना वायरस के मामलों में 45 फीसदी बढ़ोतरी हुई। इतना ही नहीं मौतों का आंकड़ा भी दोगुना हो गया।

राज्य में जिस शाम से लॉकडाउन लागू हुआ उस दिन 2,738 केस सामने आए थे। मामलों के आंकड़े इसी तरह थे। एक हफ्ते के लॉकडाउन के बाद 22 जुलाई की शाम को यह आंकड़ा 4,764 हो गया।

व्यापारी लॉकडाउन से खुश हीं थे

कर्नाटक में 1 जुलाई से लगातार कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे थे। मामलो में कमी लाने के लिए सरकार ने एक हफ्ते का लॉकडाउन लगाने का फैसला लिया। लॉकडाउन ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता है क्योंकि राज्य की आर्थिक स्थिति भी खराब हो रही है। व्यापारी और अन्य लोगों की आमदनी पर प्रभाव पड़ रहा है, वे भी लॉकडाउन से खुश नहीं थे।

दोगुना हुआ कोरोना का आंकड़ा

कर्नाटक में कुल कोरोना वायरस पॉजिटिव मामलों की संख्या 1.51 लाख के पार हो गई है। जे केस रोज आ रहे थे, वे बीते दो हफ्तों में दोगुने हुए हैं। राज्य में मौतों का आंकड़ा भी बढ़ा है। दो हफ्ते पहले जहां यह आंकड़ा 22 जुलाई तक 1,185 था वहीं 5 अगस्त को यह बढ़कर 2,804 हो गया।

यह दिए सुझाव

श्री जयदेवा इंस्टिट्यूट ऑफ कार्डियोवैस्क्युलर साइंसेंस ऐंड रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर डॉ. सीएन मंजूनाथ ने कहा कि जिलों के अंदर इकनॉमिक ऐक्टिविटी की अनुमति देनी चाहिए। जिलों के बाहर और दूसरे राज्यों के बीच यात्रा पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए, न कि पूरा लॉकडाउन करना चाहिए। जब लॉकडाउन के दौरान और बाद में लोगों का मूवमेंट होता है तो लोगों के बीच वायरस फैलने की गति और बढ़ जाती है।

करोड़ों में हो सकती है संक्रमितों की संख्या

आईसीएमआर के पूर्व निदेशक ने कहा, ‘कोरोना वायरस से लड़ने के सिर्फ यही तरीके हैं कि जांचों को बढ़ाया जाए, मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छा किया जाए, लोगों को साफ-सफाई के प्रति जागरूक किया जाए।’ नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने कहा कि वास्तव में देश के अंदर कोरोना वायरस के मामलों की संख्या करोड़ों में हो सकती है।

पल्स पोलियों की तरह बनाए जाएं सेंटर

विश्व स्वास्थ्य संगठन से पूर्व में जुड़े एक पब्लिक हेल्थ रिसर्चर ने कहा कि अगस्त में कम्युनिटी स्प्रेट होगा। सितंबर तक हर एक शख्स कोरोना से संक्रमित हो जाएगा। लगभग 75 फीसदी लोग ऐसे हैं जिन्हें पता ही नहीं होगा कि उन्हें कोरोना वायरस है। उन्होंने कहा कि पल्स पोलियों की तरह जगह-जगह सेंटर्स बनाने चाहिए ताकि वहां सबकी जांचे हो सकें।

इन लक्षणों से भी हो सकता है कोरोना वायरस

डब्ल्यूएचओ के कार्यकर्ता ने कहा कि बिना लक्षणों वाले मरीजों जैसा कुछ भी नहीं होता है। लोगों को साधारण डायरिया, खांसी, सिर दर्द, बुखार और यहां तक की 99 तापमान होना भी लक्षण ही है। लोग इन लक्षणों को लोग नजरअंदाज कर देते हैं क्योंकि उनके खास प्रभाव हीं पड़ता है।

[ad_2]

Source link

Tags:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *