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ट्रस्ट के लोगों ने भी राम मंदिर को ऐतिहासिक और बेमिसाल बनाने की तैयारियां कर रखी हैं. (सांकेतिक फोटो)
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय (Champat Rai) ने बताया कि नींव की खुदाई का मानचित्र तैयार हो चुका है, लेकिन अभी ट्रस्ट के सामने नहीं पहुंचा है. चेन्नई आईआईटी ने इसको तैयार किया है.
रामजन्म भूमि ट्रस्ट के पदाधिकारी चंपत राय के अनुसार, नींव की खुदाई का मानचित्र पहले फाइनल होगा. उसके बाद ही मंदिर की नींव की खुदाई शुरू होगी. लेकिन इसमें अभी एक से दो महीने का समय लगेगा. उन्होंने कहा कि आगे का काम अब तकनीक का है. ऐसे में तकनीक का पूरा सहारा लिया जाएगा, क्योंकि काफी लंबी नींव खोदी जाएगी. इसलिए इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि मौसम अनुकूल रहे. बारिश के मौसम में नींव में पानी भरने का खतरा रहता है.
नींव की खुदाई का मानचित्र तैयार हो चुका है
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि नींव की खुदाई का मानचित्र तैयार हो चुका है, लेकिन अभी ट्रस्ट के सामने नहीं पहुंचा है. चेन्नई आईआईटी ने इसको तैयार किया है. जल्द ही मानचित्र को ट्रस्ट के सामने पेश किया जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के आधार पर नींव की परछाई जमीन पर न पड़े, इस बात का भी पूरा ख्याल जाएगा. साथ ही मंदिर निर्माण में धार्मिक मान्यताओं को भी जोड़ा जाएगा. मान्यता है कि मंदिर के शिखर की परछाई जमीन पर नहीं पड़े, इसकी वजह से जमीन से जो मानक है उस ऊंचाई तक मंदिर को ले जाया जाएगा. साथ ही 200 फीट गहरी नांव की खुदाई होगी. भवन पूर्ण रूप से भूकंप और दैवीय आपदाओं से सुरक्षित रहेगा और इसकी आयु 1000 वर्ष तक रहेगी. संपूर्ण 70 एकड़ जमीन पर नक्शा पास करवाएगा ट्रस्ट
ट्रस्ट के लोगों ने भी राम मंदिर को ऐतिहासिक और बेमिसाल बनाने की तैयारियां कर रखी हैं. साथ ही राम मंदिर के संपूर्ण 70 एकड़ जमीन पर मानचित्र को पास कराया जाएगा. और उसके लिए मान्य सरकारी शुल्क को भी ट्रस्ट बिना छूट के जमा करेगा, जिससे कि भविष्य में किसी तरीके का कोई विवाद न रह जाए.
जल्द होगी पत्थरों को राम जन्म भूम परिषद तक पहुंचाने की व्यवस्था
विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा के अनुसार, 5 अगस्त को देश की आवाज को समझते हुए प्रधानमंत्री ने रामजन्म भूमि की आधारशिला का पूजन कर दिया. मई माह से ही l&t कंपनी कार्यरत है और आगे का दायित्व उसी का है. उन्होंने कहा कि नींव की खुदाई का कार्य शुरू होगा, लेकिन फिलहाल बरसात को देखते हुए काम रूका हुआ है. उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम पत्थरों को परिसर तक पहुंचाने की व्यवस्था होगी. पत्थरों को परिसर के अंदर ही तरासा जाए इस पर भी विचार किया जा रहा है. अगस्त माह में बारिश की संभावना है. और मूसलाधार बारिश होने पर कार्य में बाधा उत्पन्न होगी. इस वजह से नींव की खुदाई का कार्य अगस्त माह के बाद यानी कि बरसात के बाद ही शुरू किया जाएगा.
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