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रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने कुल 8,722 करोड़ रुपये मूल्य के बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट, नौसैना के लिए बंदूकें और स्पेशलाइज्ड ऐंटी-टैंक ऐम्युनिशनों की खरीद के प्रस्तावों को हरी झंडी दे दी है। साथ ही, उसने करीब एक दशक से प्रस्तावित ड्रोनों के अपग्रेडेशन का रास्ता भी साफ कर दिया।
Edited By Naveen Kumar Pandey | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:

- भारत सरकार ने इजरायल के हेरॉन ड्रोन को अपग्रेड करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया
- रक्षा अधिग्रहण परिषद ने एक दशक पुराने प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी
- अभी ये ड्रोन भारतीय वायुसेना और थल सेना की आंखें बने हुए हैं
- अपग्रेड होने के बाद ये दुश्मनों की हरकत के मुताबिक उनपर कहर बनकर बरपेंगे
नई दिल्ली
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquistions Council यानी DAC) ने मंगलवार को इजराइली हेरॉन ड्रोनों के अपग्रेडेशन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। रक्षा विशेषज्ञ चीन के साथ जारी विवाद के बीच लिए गए इस फैसले को काफी महत्वपूर्ण बता रहे हैं। भारतीय वायुसेना और थल सेना जिन इजराइली हेरॉन ड्रोन का इस्तेमाल अभी कर रही है वो मध्यम ऊंचाई तक पहुंचने वाले ड्रोन हैं। हालांकि, ये ड्रोन लंबे समय तक ऑपरेशन को अंजाम देने में सक्षम हैं। ये युद्धक विमानों की तरह ही अपने मिशन को अंजाम देकर वापस आते हैं। आइए जानते हैं अपग्रेडेशन के बाद ये ड्रोन और कौन-कौन से काम में इस्तेमाल किए जा सकेंगे…
लद्दाख में कमाल कर रहे हैं ये ड्रोनइंडियन आर्मी और एयरफोर्स के बेड़े में शामिल इजराइली ड्रोनों का बेड़ा लद्दाख के पास चीन से लगी सीमा पर तैनात किए गए हैं। यही ड्रोन चीनी सैनिकों की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं और बता रहे हैं कि डिसइंगेजमेंट प्रोसेस के तहत चीनी सैनिक पीछे हट रहे हैं या नहीं। इतना ही नहीं, ये ड्रोन चीनियों को उनकी सीमा के अंदर दूर तक सैनिकों के जुटान की भी जानकारी देते हैं। ये ड्रोन बताते हैं कि चीनी सैनिक अपनी सीमा में किस तरह का सैन्य निर्माण (मिलिट्री बिल्ड अप) कर रहे हैं।
अब ऑपरेटिंग सिस्टम में होगा बदलाव
दुश्मनों की हरकत पर नजर रखने वाले इन ड्रोनों में अभी हाई-रेजॉल्युशन सर्विलांस कैमरा और इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल ट्रैकिंग सिस्टम लगे हैं। रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने अब इन ड्रोनों को अपग्रेड करने की मंजूरी दे दी है। इन ड्रोनों के ऑपरेटिंग सिस्टम में बदलाव किए जाएंगे ताकि टारगेट्स पर और अचूक निशाना साधा जा सके। इसी वर्ष फरवरी में इजराइली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और डाइनामैटिक टेक्नॉलजीज लिमिटेड (DTL) के साथ हेरॉन एमके II ड्रोनों की मैन्युफैक्चरिंग करने का समझौता किया था। संभव है कि इस समझौते के तहत ड्रोनों को अपग्रेड करने का काम भी निपटाया जाए।
अपग्रेड होने के बाद दुश्मनों पर कहर ढाएंगे ये ड्रोन
इन ड्रोनों को अपग्रेड करने का मकसद दुश्मनों पर सिर्फ निगरानी रखना नहीं, अब बढ़कर धावा बोलने का है। अपग्रेडेशन की प्रक्रिया में भारत में विकसित सिस्टम का भी इस्तेमाल किया जाएगा। एक बार ये ड्रोन अपग्रेड हो गए तो भविष्य में जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल पारंपरिक सैन्य अभियानों में किया जा सकेगा। सूत्रों ने हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को यह जानकारी दी है।
इन ड्रोनों की टोही क्षमता में वृद्धि के साथ ही जमीन पर तैनात सैन्य बलों को दुश्मनों के ठिकानों की बिल्कुल सटीक जानकारी मिल पाएगी। इस तरह, जिन जगहों पर ड्रोन अभियानों को अंजाम नहीं दे सकेंगे और वहां सैन्य बलों को हमला करने की जरूरत होगी, वहां भी सैन्य बलों का काम आसान हो जाएगा। इतना ही नहीं, एक बार ये ड्रोन अपग्रेड हो गए तो इन्हें ऑपरेट करने में भी आसानी हो जाएगी। अपग्रेड होने के बाद इन ड्रोनों को ज्यादा दूरी से ऑपरेट किया जा सकेगा, साथ ही सैटलाइट कम्यूनिकेशन सिस्टम से उन्हें नियंत्रित किया जा सकेगा।
वायुसेना के पास ये ड्रोन भी
बहरहाल, भारतीय वायुसेना के पास कुछ इजरायली हैरोप (Harop) किलर या कामिकेज (Kamikaze) ड्रोन भी हैं जो टारगेट या रेडार पर फटकर क्रूज मिसाइलों की तरह काम कर करते हैं। इसके साथ ही, भारत बहुत ज्यादा उन्नत प्रिडेटर-बी ड्रोन अमेरिका से खरीदने की डाल फाइनल करने जा रहा है। समुद्र में दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखकर जररूत के मुताबिक हमला करने में सक्षम और हथियारों से लैस ये ड्रोन समुद्र के अभिभावक (सी गार्जियन) कहलाते हैं।
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